
जीवन बीमा तथा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हटाने की मांग वर्षों से चली आ रही थी। जीएसटी परिषद के माध्यम से जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत सरकार ने यह मांग आंशिक तौर पर मानते हुए सभी व्यक्तिगत जीवन बीमा तथा व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा (पॉलिसियों) तथा इनके पुनर्बीमा (रिइंश्योरेंस) को जीएसटी से पूर्णतया मुक्त कर दिया है। सरकार का यह फैसला निश्चित तौर पर स्वागत योग्य है। स्वास्थ्य बीमा की विशेष प्रकृति के कारण वरिष्ठ नागरिकों के लिए अत्यधिक महंगे स्वास्थ्य बीमा में तो 18% की यह राहत बहुत मायने रखती है।
जीवन तथा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर यह राहत आंशिक इसलिए है क्योंकि इसी श्रेणी के समूह बीमा (बीमाधारक तथा बीमित के बीच किसी विशेष संबंध के चलते बहुत से लोगों का एक ही पॉलिसी के तहत बीमा) पर यह राहत नहीं दी गई है। समूह बीमा पॉलिसियां एक ऐसी व्यवस्था है, जिसका आमतौर पर आधार सुविधा तथा मितव्ययिता होता है। इन पॉलिसियों में एक साथ बड़ी संख्या में बीमित व्यक्तियों के मद्देनजर बीमा प्रीमियम की दरें भी अपेक्षाकृत कम होती हैं। इसलिए आमतौर पर इन पॉलिसियों का इस्तेमाल होता है, लेकिन बीमा प्रीमियम तथा इस पर लागू जीएसटी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से व्यक्तिगत तौर पर ही चुकाया जाता है।
भारत में सरकारी क्षेत्र की बीमा कंपनियों के कर्मचारियों का ही उदाहरण लें। इन कर्मचारियों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी तो नियोक्ता कंपनी लेती है, लेकिन व्यक्तिगत कर्मचारी का प्रीमियम तथा जीएसटी उसे वेतन से तथा सेवानिवृत्त कर्मचारियों से सीधे लिया जाता है। वरिष्ठ नागरिकों का एक बड़ा समूह, जिन्हें इस राहत की सबसे अधिक आवश्यकता थी, वह भी इससे वंचित रह गया है।
सुविधा तथा मितव्ययिता की दृष्टि से बहुत से सरकारी तथा निजी क्षेत्र के नियोक्ता अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तथा बहुत से कर्मचारी संगठन व वरिष्ठ नागरिकों के अन्य सामाजिक संगठन अपने सेवानिवृत्त सदस्यों को समूह स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन इन पॉलिसियों में भी प्रीमियम तथा इस पर लागू जीएसटी व्यक्तिगत तौर पर ऐसे समूहों के सदस्यों से लेकर ही चुकाया जाता है।
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण की नई वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में देश में कुल 2.68 करोड़ स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां जारी की गई थीं। इनमें 57.28 करोड़ लोगों को बीमित किया गया था, जिनका कुल प्रीमियम 1,07,680 करोड़ रुपए था। इनमें सरकारों की ओर से प्रायोजित पॉलिसियों के अलावा 25.59 करोड़ व्यक्ति समूह बीमा पॉलिसियों के तहत बीमित थे, जिन्होंने 55,666 करोड़ रुपए प्रीमियम चुकाया था जबकि 5.58 करोड़ लोग व्यक्तिगत पॉलिसियों के तहत बीमित थे, जिन्होंने 41,501 करोड़ रुपए प्रीमियम चुकाया था।
यानी जीएसटी 2.0 सुधारों के बावजूद 25.59 करोड़ स्वास्थ्य बीमाधारक जीएसटी में राहत के हकदार नहीं होंगे तथा 18% जीएसटी का भार ढोते रहेंगे। इनमें कई ऐसे बुजुर्ग भी शामिल हैं जिन्हें मूल प्रीमियम ही वहन करने में मशक़्त करनी पड़ती है, 18% जीएसटी तो एक अतिरिक्त बड़ा भार है। जीवन बीमा की जीएसटी मुक्त श्रेणी से उन व्यक्तियों की बड़ी संख्या अलग है, जो समूह बीमा पॉलिसियों के तहत बीमित होते हैं। इतने बड़े समूह को जीएसटी राहत से वंचित रखना अनुचित है। सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए तथा इस बड़े नागरिक-समूह को भी समूह बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी हटाकर इस भार से मुक्त करना चाहिए।
Published on:
09 Sept 2025 12:59 pm
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग
