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गुप्त नवरात्र 2022- राहु 19 साल बाद अपनी मित्र राशि वृषभ में मौजूद, दे रहा विशेष संकेत?

Gupt Navratri 2022- ग्रह नक्षत्र दे रहे शुभ संकेत, बनेंगे कई संयोग- गुप्त नवरात्र 2 फरवरी से होंगी शुरु- इन महाविद्याओं की होगी साधना

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Gupt navratra Special 2022

Gupt navratra Special 2022

Gupt Navratri 2022 : कार्यसिद्धि, तंत्र-मंत्र साधना के लिए विशेष शुभ माने जाने वाले गुप्त नवरात्र 2 फरवरी 2022 से शुरु होने जा रहे हैं। गुप्त नवराज्र में कार्य सिद्धि सहित मनोकामना पूर्ति के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं।

गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना के साथ ही 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इस नवरात्र में तंत्र साधना का विशेष महत्व माना गया है। ज्योतिष के जानकार एस के उपाध्याय के अनुसार ऐसे में इस बार ग्रह नक्षत्रों के लिहाज से गुप्त नवरात्र विशेष रहने वाले हैं।

साल 2022 के पहले नवरात्र की शुरुआत हिंदू पंचांग के हिसाब से माघ माह (संवत्सर 2078) के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ ही शुरु होंगे। जानकारों के अनुसारइस नवरात्र में माता के मंत्रों के जाप मनोकामना पूर्ण करने में सहायक होते हैं।

देवी मां दुर्गा के कुछ विशेष कामना पूर्ति के मंत्रों का वर्णन देवी भागवत पुराण में भी मिलता है। माना जाता है कि इन मंत्रों का गुप्त नवरात्र में जाप करने से संतान सुख के अलावा रोग, दरिद्रता,धन आदि सभी समस्याओं का निवारण होता है।

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साल में 4 बार आते हैं नवरात्र
एक पूरे साल में चार बार नवरात्र आते हैं, इनमें दो बार प्रकट नवरात्र आते हैं और दो बार गुप्त नवरात्र आते हैं। जानकारों के अनुसार हिंदी कैलेंडर के चैत्र व अश्विन माह में आने वाले नवरात्र प्रकट नवरात्र होते हैं, जो आराधना के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं, इनमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होती है। जबकि इसी प्रकार हिंदी कैलेंडर के आषाढ़ व माघ माह में गुप्त नवरात्र आते हैं, इन गुप्त नवरात्रों के दौरान गुप्त साधना की जाती है, जो विशेष फलदायी होती है।

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इस गुप्त नवरात्र में 19 साल बाद राहु अपने मित्र राशि में-
पंडित उपाध्याय के अनुसार इस बार गुप्त नवरात्र में ग्रहों के विशेष योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। दरअसल इस बार 19 वर्षों बाद गुप्त नवरात्र में राहु अपनी मित्र राहश वृषभ में स्थित है। इससे पहले यह स्थिति 2 फरवरी 2003 में बनी थी, जब गुप्त नवरात्र की शुरुआत में राहु के वृषभ राशि में रहते हुए हुई थी। वहीं इस बार तो सूर्य और शनि भी मकर राशि में मौजूद हैं और मकर राशि का स्वामित्व शनि को प्राप्त है। ऐसे में सूर्य व शनि के एक साथ एक ही राशि में होने के चलते तंत्र क्रियाएं सुगमता से होती हैं। जिसका प्रभाव गुप्त नवरात्र में साधना करने वाले लोगों को प्राप्त होगा।