
Hanumanji most miraculous text
हिन्दू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना गया है। रामभक्त, बजरंगबली, पवन पुत्र, अंजनी पुत्र, ना जाने कितने नामों से पुकारा जाता है हनुमान जी को। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान शिव जी की तरह ही हनुमान जी के भी अनगिनत भक्त हैं। उन्हें मानने वालों की गणना करना असंभव है।
मान्यता है कि समस्त संसार में जब-जब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरित मानस, रामायण, आदि का पाठ किया जाता है तो हनुमान जी वहां जरूर मौजूद होते हैं। वे किसी ना किसी वेश में भक्तों के बीच उपस्थित होते हैं। लेकिन उन्हें पहचानने के लिए गहरी भक्ति भावना की आवश्यकता होती है। और जो उन्हें पहचान ले उसका जीवन हनुमान जी सफल बना देते हैं।
आपने हनुमान चालीसा के बारे में तो बहुत सुना होगा। उसके महत्व एवं चमत्कारी असर के बारे में भी जाना होगा, समझा होगा और शायद महसूस भी किया होगा।
लेकिन क्या कभी आपने हनुमान बाहुक के बारे में सुना है? हनुमान जी को संकटमोचक कहा गया है और उनके हनुमान बाहुक पाठ का कुछ ऐसा ही असर है। इस पाठ को पढ़ने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हनुमान बाहुक पाठ व्यक्ति के शारीरिक कष्टों को दूर करता है। इस पाठ की संरचना कैसे हुई और किसने पहली बार इसका जाप किया, इसके पीछे एक रोचक कहानी है।
संत तुलसीदास जी श्रीराम व हनुमान जी के परम भक्त माने जाते हैं। उन्होंने ही हनुमान चालीसा लिखी थी। जनश्रुति के अनुसार एकबार जब कलियुग के प्रकोप से उनकी भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई, वे काफी बीमार पड़ गए।
उन्हें वात ने जकड़ लिया था, शरीर में काफी पीड़ा भी हो रही थी। पीड़ा भरी आवाज में उन्होंने हनुमान नाम का जाप आरंभ कर दिया। अपने भक्त की पीड़ा देखते हुए हनुमान जी प्रकट हुए। तो उसके निवारण के लिये तुलसीदास जी ने इस स्त्रोत की रचना की। हनुमान बाहुक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित स्त्रोत है।
तुलसीदास ने उनसे एक ऐसे श्लोक की प्रार्थना की जो उनके सभी शारीरिक कष्टों को हर ले। तब हनुमान जी ने उन्हें जो शब्द सुनाए, उनका तुलसीदास ने जाप किया और देखते ही देखते वे ठीक हो गए।
यह हनुमान बाहुक का पाठ ही था जिस कारण से तुलसीदास के सभी शारीरिक कष्ट खत्म हो गए। हनुमान बाहुक के 44 चरणों का पाठ करने वाले इंसान के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
माना जाता है कि इसका विधि से पाठ करते हुए समस्त क्रिया अपनाने से हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही यदि जीवन में रुके हुए काम हैं या कोई इच्छा पूर्ण नहीं हो रही, तब भी हनुमान बाहुक का पाठ करना लाभदायक सिद्ध होता है।
हनुमान बाहुक के लाभ: यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी।
हनुमान बाहुक: ये भी हैं फायदे
हनुमान बाहुक का पाठ भक्त को भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से भी दूर रखता है। ऐसी किसी भी प्रकार की बुरी शक्ति हनुमान बाहुक का पाठ करने वाले भक्त के आसपास भी नहीं आती है।
हनुमान बाहुक के पाठ से भक्त के आसपास एक रक्षा कवच बन जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति उसे छू भी नहीं सकती।
ऐसे करें हनुमान बाहुक का पाठ...
हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। आप कभी भी, कहीं भी यह पाठ कर सकते हैं। लेकिन यदि आप तुरंत फल पाना चाहते हैं तो इसके लिए एक शास्त्रीय तरीका मौजूद है।
इसके तहत हनुमान बाहुक का पाठ करने के लिए आप हनुमान जी की एक तस्वीर लें। साथ ही श्रीराम की तस्वीर को भी उसके साथ रखकर, सामने बैठ जाएं। इसके बाद दोनों तस्वीरों के सामने घी का दिया जलाएं और साथ में तांबे के गिलास में पानी भरकर भी रख दें।
इसके बाद ही पूरे मन से हनुमान बाहुक का पाठ करें। जैसे ही पाठ समाप्त हो तो तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पीड़ित व्यक्ति को पिला दें या जिस किसी के हित के लिए भी यह पाठ किया गया हो उसे पिला दें।
पानी के साथ आप पूजा के दौरान हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं। यह पवित्र तुलसी के पत्ते पूजा को अधिक सकारात्मक बनाते हैं। पाठ खत्म होने पर पीड़ित व्यक्ति को तुलसी के ये पत्ते भी खिला दें।
इस तरह से व्यक्ति सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से दूर रहता है। केवल कष्ट होने पर ही नहीं, बल्कि रोजाना भी हनुमान बाहुक का पाठ करना फलदायी होता है।
Published on:
19 May 2020 01:49 pm
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