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बजरी के अवैध खनन का नहीं थम रहा सिलसिला, बनास नदी का सीना छलनी

करौली. जिले में सपोटरा बनास नदी क्षेत्र से बजरी के अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। कभी-कभी खनि विभाग और पुलिस की ओर से कार्रवाई की जाती है तो कुछ दिन के लिए अवैध खनन करने वाले अपनी गतिविधियों को कम कर देते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद अवैध बजरी की ओवरलोड भरी ट्रॉलियों फिर सड़कों पर दौडऩा शुरू हो जाती है।

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सपोटरा. बनास नदी में अवैध खनन से हुआ गड्ढा।

करौली. जिले में सपोटरा बनास नदी क्षेत्र से बजरी के अवैध खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। कभी-कभी खनि विभाग और पुलिस की ओर से कार्रवाई की जाती है तो कुछ दिन के लिए अवैध खनन करने वाले अपनी गतिविधियों को कम कर देते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद अवैध बजरी की ओवरलोड भरी ट्रॉलियों फिर सड़कों पर दौडऩा शुरू हो जाती है। वर्षों से हो रहे अवैध खनन से नदी का सीना छलनी हो गया है और बजरी की ओवरलोड ट्रॉलियों से सड़कों का दम निकल चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध खनन के लिए दिनरात चलती जेसीबी और दौड़ती टै्रक्टर-ट्रॉली लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। अवैध बजरी खनन की ट्रॉलियां रात के समय अधिक दौड़ती है। जिसके लिए गुप्त रास्तों का इस्तेमाल भी किया जाता है। बनास नदी क्षेत्र से प्रतिदिन २०० से २५० ट्रॉलियां अवैध बजरी खनन की निकलती है। यहां से होता है खनन सपोटरा क्षेत्र में बड़ पीपड, हाडौती बनास नदी घाटा, सवाईमाधोपुर के श्यामौली घाटा से बजरी का अवैध खनन होता है। जिसके बाद ट्रैक्टर ट्रॉलियां बजरी लेकर बड पीपड़ से सैमरदा फतेहपुर के रास्ते गोपालपुरा सिमिर, हाडौती, एकट, कुशालसिंह तिराहे के रास्ते जीरोता, जोडली के रास्ते से निकलकर गंगापुरसिटी, हिण्डौन, भरतपुर तक बजरी बेचने जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन अब तक बजरी के अवैध खनन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। प्राकृतिक संपदा को नुकसान, हादसे का भी अंदेशा बनास नदी क्षेत्र में बजरी के अवैध खनन से प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुंच रहा है। नदी में रहने वाले जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में है। नदी में गहराई तक गड्ढ़े कर अवैध खनन किया जाता है। अवैध खनन के कारण दिनरात दौड़ती टै्रक्टर-ट्रॉलियों से हादसे होते रहते हैं। टै्रक्टर-ट्रॉलियों में तेज आवाज में बजते डेक स्पीकर के कारण रात को गांवों में सड़कों के किनारे बसे लोग चैन से सो भी नहीं पाते हैं। लीज मिले तो मिल सकती है राहत बनास नदी क्षेत्र से बजरी के खनन की लीज नहीं देने से भी बजरी का अवैध खनन हो रहा है। क्योंकि गांवों और शहरों में कुछ वर्षों से निर्माण कार्यों में तेजी आ रही है। भवनों के निर्माण कार्य चल रहे हैं। जिसके लिए बजरी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन बजरी की लीज नहीं देने से अवैध रूप से खनन कर सप्लाई की जा रही है। लीज नहीं देने से एक तरफ अवैध खनन बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार बजरी की लीज दे दे तो अवैध खनन पर काफी हद तक रोके लग सकती है। लोगों को बजरी आसानी से और सस्ती दर पर मिल सकती है। जिससे अवैध खनन और परिवहन का झंझट भी नहीं रहेगा। वर्तमान में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल भोपाल की ओर से सर्वे कराने के बाद हाड़ौती के बनास नदी वन क्षेत्र एवं वन्य जीव संरक्षण को लेकर बजरी के खनन पर रोक लगी हुई है।

इनका कहना है
बनास नदी क्षेत्र से बजरी के अवैध खनन करने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। नाकाबंदी कर बजरी से भरी टै्रक्टर-ट्रॉलियों को जब्त किया जाता है। लीज संबंधी मामला खनि विभाग का है।

अनिल कुमार गौतम, थानाधिकारी, सपोटरा।

करौली व सपोटरा में बजरी के खनन की लीज के लिए विभाग ने प्रयास किया था। सपोटरा क्षेत्र में लीज के लिए स्वीकृति मिल गई थी लेकिन एनजीटी ने वन क्षेत्र से परिवहन को लेकर रोक लगा दी गई। जिसके चलते बजरी खनन पर रोक लगी हुई है।

धर्म सिंह मीणा, खनिज अभियंता, करौली।