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साक्षात्कार : ईमानदारी, धैर्य और सेवा भावना से काम करें… सरकारी सेवा सिर्फ नौकरी नहीं, समाज के प्रति एक जिम्मेदारी है

खंडवा से शुरू होकर वहीं सेवानिवृत्त होने तक उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों में गरीबों तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस साक्षात्कार में उनके अनुभवों, चुनौतियों और सेवा के प्रति समर्पण को 10 सवालों के माध्यम से समझने की कोशिश की गई है।

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खंडवा

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Rajesh Patel

Oct 01, 2025

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कलेक्ट्रेट में सेवानिवृत्त जिला आपूर्ति अधिकारी को सम्मानित कलेक्टर समेत अन्य

पत्रिका को इनपुट के आधार पर AI ने बताया आपूर्ति अधिकारी का साक्षात्कार...गरीबों तक राशन की पारदर्शी पहुंच सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई...1989 में मात्र 1111 रुपए तनख्वाह और 40 पैसे प्रतिदिन किराए से शुरू हुई यह यात्रा 2025 में ही खंडवा कार्यालय से सेवानिवृत्ति तक पहुंची। करीब 37 साल की सेवा में उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों में सेवाएं दी। गरीबों तक राशन की पारदर्शी पहुंच सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई।

पीडीएस में हर साल बदलती रही नीति, फिर भी चुनौतियां कम नहीं हुई

सरकारी सेवा में 37 साल तक सेवाएं देने वाले अधिकारी की यह यात्रा न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारियों की कहानी है, बल्कि बदलते समय के साथ व्यवस्था में आए सुधारों की भी गवाही देती है। खंडवा से शुरू होकर वहीं सेवानिवृत्त होने तक उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों में गरीबों तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था को पारदर्शी और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस साक्षात्कार में उनके अनुभवों, चुनौतियों और सेवा के प्रति समर्पण को 10 सवालों के माध्यम से समझने की कोशिश की गई है। सरकारी सेवा में समर्पण व ईमानदारी की मिसाल बने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सेवानिवृत्त आपूर्ति नियंत्रक की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीस) के बदलते स्वरूप की गवाही भी देती है।

पत्रिका से विशेष बातचीत पर बोले--जिला आपूर्ति अधिकारी

प्रश्न 1: इतने वर्षों की सेवा में आपको सबसे संतोषजनक पल कौन सा लगा ?

उत्तर : जब सहकारी समितियों के माध्यम से राशन वितरण शुरू हुआ और शिकायतें कम होने लगीं, तब लगा कि मेहनत रंग लाई। गरीबों तक सही मात्रा में अनाज पहुंचना ही असली सफलता थी।

प्रश्न 2: क्या कभी ऐसा समय आया जब आपने नौकरी छोडऩे का विचार किया ?

उत्तर : कई बार चुनौतियां आईं, राजनीतिक दबाव, संसाधनों की कमी, जनता की नाराज़गी। लेकिन हर बार यह सोचकर डटे रहे कि अगर हम नहीं टिके, तो व्यवस्था कैसे टिकेगी ?

प्रश्न 3: क्या आपको लगता है कि आज की पीडीएस प्रणाली पहले से बेहतर है ?

उत्तर : तकनीकी सुधार जैसे डिजिटल राशन कार्ड और ऑनलाइन ट्रैकिंग ने पारदर्शिता बढ़ाई है। लेकिन जमीनी स्तर पर अब भी सुधार की गुंजाइश है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में।

प्रश्न 4: आपकी पहली पोस्टिंग और अंतिम कार्यस्थल खंडवा रहा, इसका क्या महत्व है आपके लिए ?

उत्तर : खंडवा मेरे लिए सिर्फ एक शहर नहीं, एक भावना है। यहीं से शुरुआत की और यहीं से विदाई ली। यह एक पूर्ण चक्र जैसा अनुभव रहा, गर्व और संतोष से भरा।

प्रश्न 5: सेवा के बाद अब जीवन कैसा लग रहा है ?

उत्तर : अब समय है परिवार के साथ बिताने का, पुराने अनुभवों को साझा करने का और समाज सेवा के नए रूप तलाशने का। सेवा समाप्त हुई है, लेकिन योगदान की भावना अब भी जीवित है।

प्रश्न 6: आपने 1989 में नौकरी शुरू की थी, उस समय की परिस्थितियां कैसी थीं ?

उत्तर : नौकरी की शुरुआत खंडवा से हुई थी। उस समय मेरी तनख्वाह मात्र 1111 रुपए थी, कमरे का किराया 40 पैसे प्रतिदिन और प्रति थाली भोजन 3 रुपए में मिलता था। संसाधन सीमित थे, लेकिन सेवा भावना प्रबल थी।

प्रश्न 7 : 37 साल की सेवा में आपने पीडीएस प्रणाली में क्या बड़े बदलाव देखे ?

उत्तर : सरकार ने गरीबों तक राशन की पारदर्शिता के लिए हर समय-समय नियमों में बदलाव किए। वर्ष 2003-04 में निजी विक्रेताओं की जगह सहकारी समितियों को जिम्मेदारी दी गई, जिससे वितरण में सुधार आया।

प्रश्न 8: आपकी सेवा यात्रा में सबसे चुनौतीपूर्ण समय कौन सा रहा ?

उत्तर : हर जिले की अपनी चुनौतियां थीं, लेकिन जब पेट्रोल 2.40 रूपए प्रति लीटर से बढ़कर 107 रुपए तक पहुंचा, तो परिवहन और वितरण लागत ने काफी दबाव डाला। फिर भी हमने सुनिश्चित किया कि लाभार्थियों को समय पर राशन मिले।

प्रश्न 9: आपकी सेवानिवृत्ति के समय वेतन कितना था और कैसा अनुभव रहा ?

उत्तर : 2025 में सेवानिवृत्ति के समय मेरा वेतन 1.17 रुपए लाख तक पहुंच गया था। यह सफर भावनात्मक रूप से समृद्ध रहा, खंडवा से शुरू होकर वहीं समाप्त होना मेरे लिए गर्व की बात है।

प्रश्न 10 : आज की युवा पीढ़ी को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?

उत्तर : ईमानदारी, धैर्य और सेवा भावना से काम करें। सरकारी सेवा सिर्फ नौकरी नहीं, समाज के प्रति एक जिम्मेदारी है। बदलाव आते रहेंगे, लेकिन मूल उद्देश्य जनहित हमेशा सर्वोपरि रहना चाहिए।

कलेक्टर समेत साथियों ने दी भावभीनी विदाई

30 सितंबर-2025 को सेवानिवृत्त हुए। कलेक्टर ऋषव गुप्ता, जिला प्रबंधक शैलेंद्र सिंह जाधव, सीएमओ डॉ ओपी जुगतावत, वरिष्ठ कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी जितेन्द्र चौहान, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सुनील नागराज, रोहित देवल, दानिश खान समेत अन्य ने विदाई दी। अरुण कुमार तिवारी के सेवानिवृत्त पर कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर दिनेश सावले को चार्ज दिया है।