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कुंडली में गुरु का प्रभाव: शुभ ही नहीं अशुभ भी, यदि ऐसा योग आपमें भी तो ऐसे बचें

गुरु चांडाल दोष और उसके उपाय...

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Positive and negative effects of Devguru Jupiter

Positive and negative effects of Devguru Jupiter

यूं तो ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का अपना खास प्रभाव है। इसे एक शुभ ग्रह माने जाने के साथ ही देवताओं का गुरु भी माना जाता है। जिस कारण इसे गुरु कहकर भी संबोधित किया जाता है। एक ओर जहां गुरु हमेशा ही कुंडली में अच्छे फल देता है, वहीं कई बार कुंडली में कुछ ग्रहों के साथ आने पर ये कुयोग का भी निर्माण करते हुए।

जातक को गंभीर संकट में डाल देता है। वैसे तो गुरु कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में बैठ कर कुंडली के समस्त दोषों का नाश कर देता है, लेकिन वहीं ये गुरु जब कभी राहु के साथ कुंडली में बैठ जाता है तो ये गुरु चाण्डाल योग का निर्माण कर देता है। इसके अलावा शुभ योग में गुरु चंद्र के साथ बैठ कर गजकेसरी योग का निर्माण करता है।

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क्या है गुरु चांडाल योग
ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कुयोगों में से एक है गुरु-चांडाल योग। यहां हमें सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि गुरु चांडाल योग क्या होता है। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठ कर देखते हों, तो गुरु चाण्डाल योग का निर्माण होता है। यह योग किसी भी इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन भर परेशानियों का सामना करना होता है।

कहता कुछ है और करता कुछ
जिस जातक के जन्मांग में यह योग होता है उसकी कथनी और करनी में अंतर होता है तथा वह निराशावादी और आत्मघाती स्वभाव वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति गुरुजनों का भी अपमान करता है खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए गुरु का अपमान भी करने से पीछे नहीं हटता। ऐसा जातक धर्म और शास्त्रों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए करता है।

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इसके अलावा ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईष्र्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवत्ति का होता है, गुरु चांडाल योग धारण करने वाले जातक और कोई न कोई शारीरिक मानसिक विकृति होती है।अत: उस व्यक्ति के साथ रहने वाला इंसान भी उससे परेशान रहता है।

गुरु ज्ञान का ग्रह
वास्तव में गुरु ज्ञान का ग्रह है, विद्या का दाता है। जब यह नीच का हो जाता है तो ज्ञान में कमी लाता है। राहु छाया ग्रह है जो भ्रम, संदेह, शक, चालबाजी का कारक है। नीच का गुरु अपनी शुभता को खो देता है। उस पर राहु की युति इसे और भी निर्बल बनाती है। राहु मकर राशि में मित्र का ही माना जाता है (शनिवत राहु) अत: यह बुद्धि भ्रष्ट करता है। निरंतर भ्रम-संदेह की स्थिति बनाए रखता है तथा गलत निर्णयों की ओर अग्रसर करता है।

गुरु चांडाल दोष को दूर करने के उपाय
अगर चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने, तो उस स्थिति में हमें राहु के उपाय करके उसको ही शांत करना होता है ताकि गुरु हमें अच्छे प्रभाव दे सके।

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ऐसे में माना जाता है कि राहु की शांति के लिए मंत्र-जाप पूरे होने के बाद हवन करवाना चाहिए। जिसके बाद दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है। वहीं अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो गुरु और राहु दोनों के उपाय करने चाहिए।

गोचर कुंडली में बनने पर उपाय
अगर कुंडली या गोचर कुंडली में इस योग का प्रभाव हो तो इस तरह उपाय करना उचित माना जाता है...

: राहु का जप-दान करें। योग्य गुरु की शरण में जाकर सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएं। निर्णय लेते समय बड़ों की राय अवश्य लें। माता-पिता व वृद्धों का सम्मान करें।

: राहु हनुमान जी से डरता है, इसलिये हनुमान जी आराधना लाभ पहुंचाती है,ऐसे में हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।

: गाय को हरी घास खिलाएं व गरीबों को दान दें।

: गणेशजी और शिव जी की उपासना और मंत्र जाप करें।

: बरगद के पेड की जड में कच्चा दूध डालें।

- : राहु की शांति
किसी योग्य व्यक्ति से राहु शांति का उपाय अवश्य करवाएं।

: भगवान शिव की आराधना नियमित रूप से करें। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।

: अगर गुरु चाण्डाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में हमें राहु को शांत करने का उपाय करना पड़ेगा। ताकि गुरु हमे अच्छा फल दे सके।

: अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो हमें गुरु और राहु दोनों के उपाय करने होंगे। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना होगा।

: गुरु की मजबूती के लिए केले का पूजन करें लाभ होगा। केला पूजन से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं तथा राहु को भय होता है।