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बदल रहा है पढऩे का अंदाज़: स्मार्ट क्लास से सजी शिक्षा की नई राह

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नरसिंहपुर। अब कक्षा में ब्लैकबोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड ने ले ली है और बच्चों के हाथों में किताबों के साथ अब तकनीक भी है। चाक और डस्टर के युग से आगे बढ़ते हुए शिक्षा व्यवस्था अब स्मार्ट होती जा रही है और इसका जीवंत उदाहरण हैं पीएमश्री स्कूलों में लगी स्मार्ट क्लासें, जहां अब पढ़ाई सिर्फ याद करने की नहीं, समझने और देखने की हो चली है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 से जिले के 77 हाई और हायर सेकंडरी तथा 27 मिडिल स्कूलों में दो-दो इंटरेक्टिव डिजिटल बोर्ड लगाए गए हैं। ये बोर्ड अब विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई को न केवल आसान बना रहे हैं, बल्कि विषयों को विजुअलाइज’ करने में भी मदद कर रहे हैं।
हाइ और हायर सेकंडरी स्कूलों में स्मार्ट क्लासों के संचालन से बच्चों में भी पढऩे-सीखने के प्रति रूझान बढ़ रहा है। इन क्लासों में स्मार्ट पैनल पर विज्ञान हो या गणित, इतिहास हो या अंग्रेजी अब हर विषय इंटरनेट से जुड़े बहुपयोगी कंटेंट के साथ पढ़ाया जा रहा है। इससे जटिल अवधारणाएं अब उदाहरणों, एनिमेशन और वीडियो के जरिए बच्चों के लिए सहज बन गई हैं। इस परिवर्तन को प्रभावी बनाने के लिए प्रधानपाठकों और शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है ताकि वे डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग कर सकें।
बच्चे रटने के बजाए समझें-सीखें
जिला प्रोग्रामर शरद यादव ने बताया आज का विद्यार्थी डिजिटल युग में है। ऐसे में शिक्षक भी यदि तकनीक से लैस हों,तो शिक्षा कहीं अधिक असरदार बन सकती है। स्मार्ट क्लासेस का उद्देश्य यही है कि बच्चा सिर्फ रटने के बजाय समझे और सीखे। बता दें वर्तमान में स्मार्ट क्लासों के संचालन का भौतिक सत्यापन भी प्रारंभ हो गया है। जिला स्तर की टीमें स्कूलों में जाकर देख रही हैं कि डिजिटल क्लासें सुचारु रूप से चल रही हैं या नहीं। इस पहल से स्कूलों में न सिर्फ पढ़ाई का तरीका बदला है, बल्कि बच्चों की सीखने में रुचि और समझने की क्षमता भी तेज़ी से बढ़ रही है। अब शिक्षा केवल सूचना नहीं, बल्कि अनुभव बन रही है।
वर्जन
जिले के स्कूलों में स्थापित की गई स्मार्ट कक्षाओं के संचालन का भौतिक सत्यापन करने के लिए टीम के द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है। अभी तक निरीक्षण किए गए सभी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं विधिवत संचालित होती पाई गई है। यदि किसी स्कूल में कोई तकनीकी समस्या सामने आती है तो उसका निराकरण किया जाएगा।
विपनेश जैन, प्रभारी रमसा

वर्जन
मुंगवानी के पीएमश्री स्कूल में नए सत्र से स्मार्ट क्लास शुरू हुई है। इसमें स्क्रीन पर पढ़ाई को लेकर छात्र भी उत्साहित हैं। स्क्रीन पर विजुअल दिखाकर पढ़ाई कराने में शिक्षकों को भी आसानी हा रही है। इसमें कंटेट को समझाने में सरलता होती है।
फूलसिंह मेहरा, प्राचार्य पीएमश्री स्कूल मुंगवानी

बच्चे रटने के बजाए समझें-सीखें
जिला प्रोग्रामर शरद यादव ने बताया आज का विद्यार्थी डिजिटल युग में है। ऐसे में शिक्षक भी यदि तकनीक से लैस हों,तो शिक्षा कहीं अधिक असरदार बन सकती है। स्मार्ट क्लासेस का उद्देश्य यही है कि बच्चा सिर्फ रटने के बजाय समझे और सीखे। बता दें वर्तमान में स्मार्ट क्लासों के संचालन का भौतिक सत्यापन भी प्रारंभ हो गया है। जिला स्तर की टीमें स्कूलों में जाकर देख रही हैं कि डिजिटल क्लासें सुचारु रूप से चल रही हैं या नहीं। इस पहल से स्कूलों में न सिर्फ पढ़ाई का तरीका बदला है, बल्कि बच्चों की सीखने में रुचि और समझने की क्षमता भी तेज़ी से बढ़ रही है। अब शिक्षा केवल सूचना नहीं, बल्कि अनुभव बन रही है।
वर्जन
जिले के स्कूलों में स्थापित की गई स्मार्ट कक्षाओं के संचालन का भौतिक सत्यापन करने के लिए टीम के द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है। अभी तक निरीक्षण किए गए सभी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं विधिवत संचालित होती पाई गई है। यदि किसी स्कूल में कोई तकनीकी समस्या सामने आती है तो उसका निराकरण किया जाएगा।
विपनेश जैन, प्रभारी रमसा

वर्जन
मुंगवानी के पीएमश्री स्कूल में नए सत्र से स्मार्ट क्लास शुरू हुई है। इसमें स्क्रीन पर पढ़ाई को लेकर छात्र भी उत्साहित हैं। स्क्रीन पर विजुअल दिखाकर पढ़ाई कराने में शिक्षकों को भी आसानी हा रही है। इसमें कंटेट को समझाने में सरलता होती है।
फूलसिंह मेहरा, प्राचार्य पीएमश्री स्कूल मुंगवानी


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