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गन्ने की बम्पर पैदावार से किसानों के जीवन में घुल रही मिठास

दादाजी गन्ना बीजते थे। उनसे प्रेरित होकर अढ़ाई बीघा जमीन में गन्ना बोया।

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हनुमानगढ़जिले में गांव नगराना के खेत चक छह एनजीआर में किसान गन्ने की खेती कर लोगों के जीवन में मिठास घोल रहे हैं। किसान परंपरागत तरीके से खेती करते हैं। विषम परिस्थितियों का असर कम होने से इसकी खेती सुरक्षित व लाभदायक मानी गई है।
नहरी पानी से तैयार हुई फसल
किसान पवन स्वामी व उनके भाई कालूराम ने बताया, उनके दादाजी गन्ना बीजते थे। उनसे प्रेरित होकर अढ़ाई बीघा जमीन में गन्ना बोया। 19 नंबर ज्यूस बीज लोहगढ़(हरियाणा) से ३० हजार में लाए। बिजाई कर गोबर खाद डाली। गन्ने की फसल को पानी ज्यादा चाहिए तो नहरी पानी लगाया। पहले साल में 12-13 फुट लंबे, मुलायम, मीठे गन्नों का उत्पादन हुआ। पौना बीघा कटाई करने पर 150 क्विंटल गन्ना निकला।
हर साल बढ़ती उपज
किसानों के अनुसार, ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती करने के लिए दो आंख वाले गन्ने के टुकड़ों को क्यारी विधि से लगाया जाता है। इसके अंतर्गत प्रति मीटर केवल 10 गन्ने लगाए जाते हैं। एक बार लगा बीज तीन साल चलता है। इसलिए लागत भी कम आती है। हर साल उपज बढ़ती है।
इन बातों का रखें ध्यान
अच्छी पैदावार के लिए सही बीज के चुनाव से लेकर आखिरी सिंचाई तक ध्यान देना होगा। फसल को कीटों-रोगों से बचाने का भी प्रबंध करना आवश्यक है। मिट्टी की सेहत परखें। फसल अवशेषों को खेत में नहीं जलाएं। ज्यादा कमाई के लिए गन्ने की दो पंक्तियों के बीच चार फुट की दूरी रखना अच्छा रहता है।
पानी की अधिक आवश्यकता रहती है। एक बार बुआई कर कई वर्ष तक मुनाफा मिलता है। इसमें कीट- रोग अन्य फसलों की अपेक्षा कम लगते हंै। एक साल में एक बार फसल आती है, लेकिन इसे लगाने के दो सीजन हैं। दीपावली पर लगाकर दीपावली पर कटाई तो दूसरा वैशाख महीने में लगाकर अगले वैशाख में कटाई। एक एकड़ खेती में एक लाख लागत आती है और चार से पांच लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है।

  • बी. आर. बाकोलिया, सहायक निदेशक कृषि (विस्तार), हनुमानगढ़
  • -योगेन्द्र कुमार गुप्ता