23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

स्वास्थ्य विभाग ने बंद कर दिए थे, मिली भगत के खेल से फिर खुल गए अस्पताल

MP News: अस्पतालों में कमियां या शिकायतें मिलने के बाद हुआ निरीक्षण, नोटिस के बाद बंद हुए हॉस्पिटल, स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत और नये नाम से फिर से संचालित हो रहे वही अस्पताल, जानें क्या बोले CMHO

2 min read
Google source verification

MP News: कोरोना काल के बाद जिले में तेजी से निजी अस्पताल (Hospitals in Gwalior) खुले हैं। इनमें तीन महीने के अंदर ही 10 अस्पतालों को खोलने की अनुमति दी गई है। साथ ही अनियमितताएं मिलने पर जिले में कई अस्पताल बंद भी किए गए हैं। लेकिन बंद किए गए कई अस्पताल नाम बदलकर फिर से चल रहे हैं। इन अस्पतालों की न बिल्डिंग बदली है न स्टाफ, केवल नाम बदला है।

रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद भी फिर खुल गए अस्पताल


अस्पतालों में कमियां या शिकायतें आने के बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) निरीक्षण करके एक महीने का नोटिस देता है। लेकिन कई अस्पतालों में इन नोटिस का असर नहीं होता है, जिस पर कुछ दिन बाद इन अस्पतालों का पंजीयन रद्द कर इन्हें बंद कर दिया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ दिन बाद ही यह बंद अस्पताल दूसरे नाम से खुल जाता है। इसमें बिल्डिंग और डॉक्टर के साथ स्टाफ वही रहता है। अस्पताल का नाम और डायरेक्टर का नाम बदल जाता है। कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें अस्पतालों के पार्टनरों में लड़ाई के बाद बंद कर दिया, लेकिन कुछ दिन बाद यह उसी स्थान पर खुल गया।


जिले में 417 अस्पताल संचालित

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में 417 निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इसमें डबरा में 12 निजी अस्पताल हैं। वहीं शहर में ही लगभग 350 अस्पताल हैं। तीन महीने में ही 10 अस्पतालों को खोलने की अनुमति मिली है।


अस्पतालों को भी समय- समय व्यवस्थाओं को लेकर नोटिस आदि दिए जाते है। इससे कुछ नियमों का पालन नहीं करने पर बंद भी हो जाते है। वहीं कोरोना काल में अस्पतालों की बहार आई थी। इसके बाद लगभग बीस फीसदी अस्पताल बंद हो गए है।

बंद स्मार्ट सिटी अस्पताल का एक साल में बोर्ड तक नहीं हटा

गुड़ागुड़ी का नाका कंपू में स्मार्ट सिटी मेटरनिटी एवं सर्जिकल हॉस्पिटल में बुधवार को अवैध गर्भपात का मामला सामने आया था। जबकि इस अस्पताल का पंजीयन एक साल पहले 31 मार्च 2024 को खत्म हो चुका है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत से अस्पताल का बोर्ड तक नहीं हटा। इसका मतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी यहां पर गए ही नहीं। अभी भी शहर में ऐसे कई अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जिन पर स्वास्थ्य विभाग की नजर नहीं है।

इन अस्पतालों के बदले नाम

-जनक हॉस्पिटल ---- आनंदम

-ऋषिश्वर हॉस्पिटल---- मनेश्वर हॉस्पिटल

-रीलाइफ हॉस्पिटल---- सहयोग हॉस्पिटल

परिवाद पेश करेंगे


स्मार्ट सिटी मेटरनिटी एवं सर्जिकल हॉस्पिटल में गर्भपात के मामले में न्यायालय में परिवाद पेश किया जाएगा। इसकी तैयारी की जा रही हैं।
-डॉ. सचिन श्रीवास्तव, सीएमएचओ

ये भी पढ़ें: ब्रेकिंग: एमपी बोर्ड 5वीं और 8वीं का रिजल्ट घोषित, जानें कैसे करें चैक

ये भी पढ़ें: टीचर से बोले प्राचार्य, किराए के घर में अकेली रहती हो, मेरे साथ क्यों नहीं रहती, फिर जो हुआ कर देगा हैरान