21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जिले के उत्पादन से ज्यादा हो गई मूंग की खरीदी, स्टॉक कम मिलने पर पूर्ति का दे दिया समय

समर्थन मूल्य पर चल रही मूंग खरीदी में अधिकांश केंद्रों पर अनियमितताएं मिलीं हैं। यही कारण है कि जिले में भोपाल स्तर से गठित टीम पिछले चार दिन से जांच कर रही है। जांच दल को कई केंद्रों पर 200 से 500 क्विंटल स्टॉक कम और फर्जी बिलिंग करने के प्रमाण मिले हैं।

3 min read
Google source verification

सागर

image

Madan Tiwari

Jul 30, 2024

मूंग खरीदी

मूंग खरीदी

जिले में मूंग का रकबा 22670 हेक्टेयर, 10 क्विंटल औसत उत्पादन

सागर. समर्थन मूल्य पर चल रही मूंग खरीदी में अधिकांश केंद्रों पर अनियमितताएं मिलीं हैं। यही कारण है कि जिले में भोपाल स्तर से गठित टीम पिछले चार दिन से जांच कर रही है। जांच दल को कई केंद्रों पर 200 से 500 क्विंटल स्टॉक कम और फर्जी बिलिंग करने के प्रमाण मिले हैं। इसके बाद भी इन खरीदी केंद्रों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हेें कम मिले स्टॉक की भरपाई करने का समय दे दिया गया है।

खरीदी में सामने आए इस फर्जीवाड़े को लेकर जब पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो पता चला कि जितनी मूंग सरकारी केंद्र और कृषि उपज मंडियों में बेची जा चुकी है उतना तो जिले में उत्पादन ही नहीं है। कृषि विभाग के आंकड़ें देखें तो जिले में अधिकतम उत्पादन 2.26 लाख क्विंटल है, लेकिन इतने माल की खरीदी तो अकेले सरकारी केंद्रों पर ही अब तक हो चुकी है, जबकि लगभग एक तिहाई किसानों ने अपनी उपज बेची ही नहीं है।

- कृषि विभाग ने भोपाल भेजी थी जानकारी

कृषि विभाग के उपसंचालक ने 23 अप्रेल को अपर संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास भोपाल को मूंग के रकबे के संबंध में जानकारी भेजी थी। जिसके अनुसार वर्ष 2023 में जिले में मूंग का रकबा 20100 हेक्टेयर था। विभाग ने वर्ष 2024 में 25 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा, लेकिन 22670 हेक्टेयर में ही मूंग की फसल बोने की बात रिपोर्ट में शामिल की गई है।

- ऐसे समझें फर्जीवाड़े का गणित

कृषि विभाग के अनुसार जिले में प्रति हेक्टेयर मूंग का उत्पादन अधिकतम 10 क्विंटल है। इस हिसाब से 22670 हेक्टेयर में 2 लाख 26 हजार 700 क्विंटल से ज्यादा पैदावार नहीं हो सकती, जबकि जिले में 10190 किसानों से 1.93 लाख क्विंटल की खरीदी हो चुकी है, जिसका प्रति किसान औसत 19 क्विंटल है। यदि शेष बचे पंजीकृत 5899 किसानों भी अपनी मूंग बेचने सरकारी केंद्रों पर पहुंचते तो खरीदी का आंकड़ा बढ़क 3 लाख क्विंटल के पार पहुंच जाता।

- गिरदावरी में हुआ खेल

मूंग खरीदी में फर्जी पंजीयन होने की बात भी सामने आ रही है। सूत्रों की माने तो ऐसे किसानों के पंजीयन भी हुए हैं, जिन्होंने अपने खेत में मूंग बोई ही नहीं थी, लेकिन पटवारियों से सांठगांठ कर गिरदावरी करा ली और उसी के बलबूते पंजीयन हो गए। इन फर्जी पंजीयनों को कराने का उद्देश्य केवल व्यापारियों द्वारा खरीदी मूंग को समर्थन मूल्य पर बेचकर मुनाफा कमाना था।

- गड़बड़ी पर एफआइआर के निर्देश

मूंग खरीदी में गड़बड़ी करने वाले खरीदी केंद्र प्रभारियों सहित अन्य जिम्मेदारों पर अब एफआइआर की जाएगी। इसको लेकर सोमवार को कलेक्टर दीपक आर्य ने जिले के सभी एसडीएम व तहसीलदारों को निरीक्षण कर जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खरीदी केंद्रों के निरीक्षण में स्टॉक पंजी और उपलब्ध स्टॉक का मिलान करें, परिवहन की स्थिति और तोल कांटे की भी जांच करें। जिन केंद्रों पर गड़बड़ी सामने आती हैं, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएं।

मूंग खरीदी में गड़बड़ी करने वाले खरीदी केंद्र प्रभारियों सहित अन्य जिम्मेदारों पर अब एफआइआर की जाएगी। इसको लेकर सोमवार को कलेक्टर दीपक आर्य ने जिले के सभी एसडीएम व तहसीलदारों को निरीक्षण कर जांच करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खरीदी केंद्रों के निरीक्षण में स्टॉक पंजी और उपलब्ध स्टॉक का मिलान करें, परिवहन की स्थिति और तोल कांटे की भी जांच करें। जिन केंद्रों पर गड़बड़ी सामने आती हैं, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएं।

- फैक्ट फाइल

- 38 केंद्र खरीदी कें लिए संचालित

- 16089 किसानों के नाम हुए पंजीयन

- 10190 किसानों से हो चुकी खरीदी

- 19306 मीट्रिक टन मूंग खरीदी जा चुकी

- 22670 हेक्टेयर जिले में मूंग का रकबा

- 2.26 लाख क्विंटल अधिकतम उत्पादन