राम कौन है का नरेटिव समाप्त करने के लिए राज्यपाल रवि ने कहा कि इस पुस्तक की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई कि तमिलनाडु में राम कौन है का नरेटिव तेजी से फैलाया जा रहा था। युवाओं को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से वंचित किया जा रहा था। इसे ‘सांस्कृतिक संहार’ कहना गलत नहीं होगा। लेकिन यह सत्य है कि पूरे देश में कहीं भी यात्रा करें, एक इंच का क्षेत्र भी ऐसा नहीं होगा, जहां राम नहीं हैं। देश में कई मंदिर तोड़े गए लेकिन राम की स्मृति तब भी बनी रहीं क्योंकि वे जनमानस में बसे हैं। तमिलनाडु इसका अपवाद नहीं है। देश को एकता सूत्र में बांधे रखने के लिए ही महात्मा गांधी ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन गया था।
धर्म के बिना भारत नहीं उन्होंने दोहराया कि धर्म के बिना भारत नहीं हो सकता। भारत सदियों से धर्म प्रधान रहा है। सनातन धर्म समावेशी विचारधारा का पोषक है, जिसमें आस्तिक, नास्तिक, आकारी-निराकारी, सगुण-निर्गुण सभी की स्वीकार्यता है। भगवान राम छवियों के जरिए संविधान में भी हैं। आजादी के बाद ब्रिटिश हुकूमत वाली सोच के कारण हमारी दिशा बदल गई। हम और गरीब हो गए। हमारे पिछड़ने की वजह यह थी कि हमने हमें बनाए रखने वाली शक्ति के स्रोत राम को भुला दिया था। अब विकास के लिए पुनर्जागरण की आवश्यकता है। राष्ट्र के विकास के लिए हमें भौतिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त होना पड़ेगा।
सबल और समर्थ भारत राज्यपाल ने कहा कि राम केवल भारत के लिए नहीं हैं। युद्ध रोकने, गरीबी और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें ऋषि परम्परा और वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को अपनाना होगा। इस विश्व के हित में भारत को सबल और समर्थ बनना होगा। राम और रामराज्य का पूरक और कुछ नहीं हो सकता। राज्यपाल के भाषण से पहले दीप प्रज्वलन हुआ। उससे पहले राम स्तुति, जटायु मोक्ष पर आधारित भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी गई।