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शर्मनाक: 7 अस्पतालों ने एडमिट करने से किया इंकार, गर्भवती ने एंबुलेंस में तोड़ा दम, बच्चे की भी गर्भ में ही मौत

locationनोएडाPublished: Jun 06, 2020 01:58:44 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

Highlights:
-आठ महीने की गर्भवती थी महिला
-सांस की दिक्कत होने पर भर्ती करने से किया इंकार
-डीएम ने मामले की जांच के दिए आदेश

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नोएडा। शहर में एक बार फिर शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। जिसमें एक आठ माह की गर्भवती महिला ने इलाज नहीं मिलने से एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। जिसके साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि कई घंटों तक गर्भवती महिला को एंबुलेंस एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ती रही, पर नोएडा के सरकारी और प्राइवेट सात अस्पतालों ने उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया। जिसके कारण गर्भवती ने इलाज के अभाव में एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। वहीं मामला तूल पकड़ता देख डीएम ने जांच के आदेश दिये हैं।
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दरअसल, गाजियाबाद के खोड़ा कलॉनी की रहने वाली नीलम कुमारी गौतम आठ महीने की गर्भवती थी। उनका इलाज शिवालिक हॉस्पिटल में चल रहा था। शुक्रवार को नीलम को सांस की परेशानी होने पर उसका पति उसे लेकर सुबह 6 बजे घर से निकला था। आरोप है कि 13 घंटे तक किसी अस्पताल ने उसे भर्ती नहीं किया। परिवार के मुताबिक नोएडा के ईएसआई हॉस्पिटल, जिला अस्पताल, शारदा हॉस्पिटल, जिम्स, वैशाली मैक्स हॉस्पिटल, नोएडा फोर्टिस अस्पताल और शिवालिक हॉस्पिटल में महिला को ले जाया गया।
आरोप है कि इन सभी अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया। महिला की सांस फूल रही थी और कोविड-19 के डर से सबने मना कर दिया। करीब 13 घंटे बीतने के बाद इलाज न मिलने पर शाम शाम बजे महिला एम्बुलेंस में मौत हो गई। वहीं बच्चा ने भी पेट के अंदर ही दम तोड़ दिया।
उधर, मामले के तूल पकड़ता देख जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर ने पूरे प्रकरण की जांच अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक अहोरी को सौंपी है। जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं मामला सीएम योगी तक भी पहुंचा है। महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने सीएम योगी से इस मामले में बात की है। उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि नोएडा के अस्पतालो की लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी एक नवजात शिशु का पिता अपने बेटे को लेकर ग्रेटर नोएडा से नोएडा के अस्पतालो में भटकता रहा था। उसे एडमिट नहीं किया गया। जिससे बच्चे की मौत हो गई थी। वहीं एक अन्य मामले में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण प्रसव पीड़ा से परेशान महिला ने अस्पताल के बाहर एक बच्ची को जन्म दिया। उपचार नहीं मिलने से नवजात की मौत। इन सभी मामलों की भी जांच चल रही है।
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