
भाद्रपद के इस महीने में बदलेगा आपका भाग्य, भूलकर भी न करें ये काम
नोएडा. सावन के बाद अब हिंदू पंचांग का छठा माह Bhadrapad (भादो) चल रहा है। बता दें कि जिस तरह Sawan का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए खास महत्व रखता है। उसी तरह भाद्रपद का महीना भगवान श्री कृष्ण की उपासना के विशेष होता है। क्योंकि इसी माह की अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया था। दरअसल, इस माह की पूर्णिमा पर उत्तरा भाद्रपद में चंद्रमा होता है। इसी योग के कारण इस माह को भाद्रपद के नाम से जाना जाता है। पंडित चंद्रशेखर शर्मा बताते हैंं कि इस माह दही का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। हालांकिा छाछ या लस्सी का सेवन कर सकते हैं। कहते हैं इस महीने में दही का त्याग करने से व्यक्ति को पुण्य फल प्राप्त होते हैं और उसकी निरंतर तरक्की होती है। भाद्रपद के माह में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के साथ कजली तीज समेत कई बड़े प्रमुख त्योहार और व्रत भी पड़ते हैं।
कजली तीज
भाद्रपद कृष्ण तृतीया यानी 29 अगस्त को कजली तीज मनाई जाती है। यह त्योहार राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस पर्व का शुभारंभ महाराणा राजसिंह ने अपनी रानी को प्रसन्न करने के लिए किया था।
कृष्ण जन्माष्टमी
भाद्रपद में सबसे बड़ा पर्व Shri Krishna Janmashtami है। यह त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी 2 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया था। भगवान विष्णु के आठवें अवतार को श्री कृष्ण माना जाता है जिन्हें कान्हा समेत अनेक नामों से भी जाना जाता है।
गोवत्स द्वादशी
इस माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी को वत्स द्वादशी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। इस पर्व पर महिलाएं गाय व बछड़े का पूजन करती हैं। इसके बाद बच्चों को प्रसाद के रूप में सूखा नारियल देती है। यह पर्व बच्चों कि सुख-शान्ति से जुड़ा है।
हरतालिका तीज
इस माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी 12 सितंबर को Haritilika Teej मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव और पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। कहते हैं कि सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को किया था। हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी
शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि यानी 13 सितंबर को Ganesh Chaturthi मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा, उपवास व आराधना करना शुभ होता है। इस दिन उपवास रख श्री गणेश को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। प्राचीन काल में इस दिन लड्डुओं की वर्षा की जाती थी, जिसे लोग प्रसाद के रूप में लूटकर खाया जाता था। मंदिरों में इस दिन विशेष धूमधाम रहती है।
ऋषि पंचमी
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 14 सितंबर को Rishi Panchami का व्रत किया जाएगा। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। कहते हैं कि सप्तऋषि सात ज्ञानी ऋषियों का समूह था, जिन्होंने लोगों को धर्म की राह दिखाई थी। कहा जाता है कि ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने से मनुष्य के पूर्वजन्म के पाप मिट जाते हैं।
देवझूलनी एकादशी
इस बार 20 सितंबर को शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को Devjhulani Ekadashi मनाई जाएगी। देवझूलनी एकादशी में विष्णु जी की पूजा, व्रत, उपासना करने का विधान है। देवझूलनी एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विष्णु देव की पाषाण की प्रतिमा अथवा चित्र को पालकी में ले जाकर जलाशय से स्थान करना शुभ कहा जाता है।
अनन्त चतुर्दशी
इस माह 23 सितंबर को Anant Chaturdashi मनाई जाएगी। इस दिन एक बार भोजन किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप पर आधारित है।
Updated on:
29 Aug 2018 01:07 pm
Published on:
29 Aug 2018 10:47 am
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