खबर की मुख्य बातें-
-प्रदेश सरकार ने Craft Beer को अनुमति दे दी है
-अब ये किसी भी रिसॉर्ट या पब में micro beverages खोले जा सकेंगे
-अभी तक देश के कुछ ही राज्यों में craft beer परोसी जा रही थी
बीयर पीने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, Craft Beer परोसने को सरकार से मिली हरी झंडी
नोएडा। इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी में बीयर की दुकानों पर लंबी-लंबी कतार देखने को मिल जाएगी। इस सबके बीच बीयर (Beer) प्रे्मियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। दरअसल, प्रदेश सरकार ने नोएडा समेत उत्तर प्रदेश में क्राफ्ट बीयर (Craft Beer) को अनुमति दे दी है। जिसके बाद अब ये किसी भी रिसॉर्ट या पब में माइक्रो-ब्रूअरीज (micro beverages) खोले जा सकेंगे। जिसमें लोगों को क्राफ्ट बीयर परोसी (craft beer bar) जा सकेगी।
राजस्व के मिलेगा बढ़ावा दरअसल, अभी तक देश के कुछ ही राज्य जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और दिल्ली में ही क्राफ्ट बीयर (craft beer) परोसी जा रही थी। यह लोगों को खासी पसंद भी रही है। अब राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश में भी इसे परोसने की अनुमति दे दी है। जानकारों की मानें तो सरकार की मंशा है कि माइक्रो-ब्रूअरीज (micro beverage) खुलने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व में भी वृद्धि होगी।
कहीं भी खो सकेंगे माइक्रो-बरूअरीज (माइक्रो ब्रेवरी) योगी कैबिनेट में हरी झंड़ी मिलने के साथ ही क्राफ्ट बीयर परोसने के लिए माइक्रो-बरूअरीज प्रदेश में कहीं भी खोली जा सकेंगी।जानकारी के मुताबिक शुरूआत में 50 हजार रुपये शुल्क के साथ ही मंजूरी मिलने पर 2 लाख रुपये सलाना लाइसेंस फीस इसके लिए चुकानी होगी। माइक्रो ब्रेवरी (micro beverages) लगाने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये तक का खर्च भी है।
क्राफ्ट बीयर (craft beer) में अधिकतम 8 फीसदी होगी एल्कोहल आबकारी विभाग की मानें तो माइक्रो ब्रेवरी में बनी क्राफ्ट बीयर में अधिकतम आठ फीसदी ही एल्कोहल होगा। इसे अधिकतम 24 घंटे तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके बाद इस बीयर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। आबकारी अधिकारियों के मुताबिक अभी लाइसेंस सिर्फ बार संचालकों को ही दिया जाएगा।
ताजा फलों और जौ से बनेगी क्राफ्ट बीयर (craft beer) बता दें कि क्राफ्ट बीयर कई रंगों में परोसी जाती है। यह 50 से 55 डिग्री तक गर्म रहती है। इसे गर्म ही परोसा जाता है, जबकि अन्य बीयर को ठंड़ा कर पिया जाता है। क्राफ्ट बीयर बनाने में जौ के अलावा ताजे फलों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे दर्जनों फ्लेवरों के साथ इसे बनाया जाता है। इसे बनाने में सामान्य बीयर से अधिक लागत आती है। जानकारों की मानें तो बीयर छह माह से एक साल तक पुरानी हो जाती है। उसमें कार्बन डाइ आक्साइड जैसे घातक रसायन मिलाए जाते हैं। क्राफ्ट बीयर ताजा होने के चलते लोगों में काफी प्रचलित भी है।
जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि फिलहाल क्राफ्ट बीयर परोसने के लिए कैबिनेट में मंजूरी मिली है। हमारे पास नियमावली कुछ दिनों में आ जाएगी। जिसके बाद इसके लिए आवेदन मांगे जाएंगे।