
सांकेतिक तस्वीर।
Cyber Fraud: दिल्ली से सटे नोएडा में तीन करोड़ की ठगी का ऐसा मामला सामने आया है। जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। यह ठगी ऐसे अधिकारी के साथ की गई। जिसकी अपने जीवन का लंबा समय बैंकिंग सेवाओं में बिताया। पीड़ित का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन का सबसे लंबा समय बैंकिंग की नौकरी में बिताया है। इसके बावजूद वो डिजिटल अरेस्ट कैसे हो गए। इसपर उन्हें भरोसा नहीं हो रहा है।
पीड़ित के अनुसार जालसाजों ने CBI और ED जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ ही देश के सर्वोच्च न्यायिक संस्थान के नाम का भी दुरुपयोग किया और उनके जीवनभर की कमाई हड़प ली। इतना ही नहीं आरोपियों ने रकम ऐंठने के बाद आरोप मुक्त करने का फर्जी आदेश भी उन्हें भेज दिया। इस आदेश में बताया गया है कि उनके सभी फंड वैध हैं। इसलिए उन्हें आरोप मुक्त किया जा रहा है। इसके बाद रकम वापस न आने पर बुजुर्ग दंपति को ठगी का अहसास हुआ।
घटना नोएडा के सेक्टर-75 स्थित गार्डेनिया गेटवे सोसायटी की है। साइबर ठगों ने यहां 78 साल के बिरज कुमार सरकार और उनकी पत्नी को निशाना बनाया। दंपति पर मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश के नाम पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। इसके साथ ही सीबीआई और ईडी की जांच का हवाला देते हुए किसी से भी जानकारी साझा करने पर तुरंत गिरफ्तारी की बात कही गई। बिरज कुमार सरकार ने अपनी नौकरी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी के तौर पर शुरू की थी। साइबर अपराधियों ने उन्हें 15 दिन तक उनके ही घर में डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान पीड़ित को सिर्फ ऑनलाइन घरेलू सामान मंगाने के साथ भोजन और दैनिक क्रिया निपटाने की छूट दी गई।
इस मामले में नोएडा साइबर सेल की डीसीपी प्रीति यादव ने बताया कि बुजुर्ग दंपति से डिजिटल ठगी का मामला उनकी जानकारी में है। जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर कराई गई है। उनकी जांच शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही रकम को फ्रीज कराने के लिए बैंकों को पत्र भी भेजा गया है। जालसाजों ने पीड़ित दंपति को झांसे में लेने के लिए 3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के नाम से एक फर्जी आदेश भेजा। इसमें स्पष्ट किया गया है कि उनके सभी फंड वैध हैं।
डीसीपी प्रीति यादव की मानें तो साइबर ठगों ने बैंकिंग सेक्टर से रिटायर्ड पीड़ित बुजुर्ग को फजी आरोप मुक्त पत्र भी दिया। इसमें उन्होंने लिखा "सुप्रीम कोर्ट को नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आपके धन की कोई संलिप्तता नहीं मिली है। इसलिए 6 से 7 दिन के अंदर आपके सारे रुपये खाते में वापस आ जाएंगे।" पुलिस के अनुसार बुजुर्ग दंपति इस मामले की जानकारी किसी को न दे पाएं। इसलिए उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखना जारी रखा। जब एक सप्ताह से ज्यादा समय बीतने के बाद भी रुपये वापस नहीं आए तो दंपति को ठगी का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने साइबर अपराध थाने में केस दर्ज करवाया।
नोएडा में साइबर ठगी का शिकार हुए पीड़ित बुजुर्ग को ठगी पर भरोसा नहीं हो रहा है। पीड़ित बिरज कुमार सरकार ने पुलिस को बताया "मैंने अपनी नौकरी की शुरुआत कोलकाता में आरबीआई अधिकारी के रूप में की थी। करीब 5 सालों तक ईमानदारी से काम किया। इसके बाद मैं भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी में शामिल हो गया। यहां मैंने करीब 31 साल तक काम किया। इसके बाद मुझे प्रमोशन दिया गया। इसमें मुझे जनरल मैनेजर के कैडर की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में मुझे ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के बोर्ड में एक एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में प्रमोट किया गया।"
बिरज कुमार सरकार ने आगे बताया "ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से रिटायर होने के बाद मैं एक निजी कंपनी में शामिल हो गया। बैंकिंग सेक्टर में इतना लंबा जीवन बिताने के बाद मुझे नहीं पता था कि एक दिन मेरे साथ इस तरह की घटना होगी।" वहीं पुलिस का कहना है कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी किसी को डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। यदि वीडियो कॉल पर पुलिस, सीबीआई, सीआईडी आदि के अधिकारी आ जाएं तो इसे फर्जी समझना चाहिए। इस तरह की कॉल आने पर कॉलर से कहें कि लोकल पुलिस के साथ घर आकर पूछताछ करें।
Updated on:
21 Mar 2025 12:42 pm
Published on:
21 Mar 2025 12:41 pm
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