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बिग ब्रेकिंग : इतने साल बाद हुआ यूपी का बंटवारा, अब ये भी होगा प्रदेश का हिस्सा

उत्तर प्रदेश के हिस्से का बंटवारा 44 साल बाद हो गया है और इसके चलते जमीन के क्षेत्रफल में बदलाव हुआ है।

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नोएडा। उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं के बंटवारे को लेकर कई जगह चल रहे विवाद का समाधान 44 साल बाद हो गया। जिसके चलते दोनों प्रदेशों की क्षेत्रफल में कुछ बदलाव भी हुआ है। दरअसल, प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा का बंटवारा हो गया है। इसके चलते यमुना नदी के किनारे डूब क्षेत्र की जमीन का कुछ हिस्सा यूपी में आया है और अब यहां प्रशासन के अधिकारियों द्वारा जमीन की पैमाइश कर चकबंदी का काम किया जा रहा है। वहीं इससे जिले के किसानों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकारियों द्वारा पैमाइश करने पर उनकी खेतों की जमीन के क्षेत्र में भी कुछ बदलाव हुए हैं और सीमांकन को लेकर उनमें आक्रोश का माहौल भी है।

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सीमांकन से किसानों को हो रही परेशानी

दोनों प्रदेशों की बीच सीमांकन के बाद अब जिले के किसानों को खासी परेशानी हो रही है। सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले चक मंगरौल गांव में खेती करने वाले किसान अशोक व अनुज चौहान का कहना है कि वह पिछले 15 साल से जिल जमीन पर खेती कर रहे हैं। अब अधिकारी कह रहे हैं कि सीमांकन हुआ है और फिर से पैमाइश की जा रही है और जिस जमीन पर हम खेती कर रहे हैं वह हमारी नहीं है। जबकि हमारे पास जमीन के सभी कागज हैं जिसमें खुद तहसीलदार व लेखपाल ने हमें कब्जा दिया था। लेकिन अब अधिकारी खुद अपना नया नक्शा लेकर हमें हमारी ही जमीन छोड़ने को कह रहे हैं। आखिर सरकार किसानों के साथ ऐसा क्यों कर रही है।

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सर्वे ऑफ इंडिया ने किया सीमांकन का काम

सर्वे ऑफ इंडिया की दो टीमों ने जेवर के झुप्पा गांव से लेकर नोएडा के चक बसंतपुर तक 392 पिलर लगाकर सीमांकन का काम पूरा किया। सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षक अधिकारी करतार सिंह ने बताया कि पिछले साल 15 नवंबर को दीक्षित अवार्ड के तहत सीमांकन के लिए पिलर लगाने का काम शुरू किया गया था और इसी साल 10 मार्च को इसे पूरा कर लिया गया है। अब दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का भी समाधान हो गया है।

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1974 में तय हुई थी सीमा, बाढ़ से हुई गायब

उल्लेखनीय है कि सन् 1974 में केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा तय की गई थी। इन दोनों राज्यों की सीमा के बीच पिलर लगाए गए थे, लेकिन बाढ़ के कारण ज्यादातर पिलर गायब हो गए।