पंडित चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि हिन्दू धर्म में सभी पर्वों से भिन्न-भिन्न मान्यता और किंवदंतियां जुड़ी हैं। इसी प्रकार दशहरे से भी एक ऐसी किंवदंती जुड़ी है, जिसके विषय में कम लोग ही जानते हैं। पंडित जी कहते हैं कि दशहरे (Dussehra) के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना बेहद शुभ होता है। वह कहते हैं कि नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक है। इसलिए विजय दशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन मात्र से ही मनुष्य की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इसके साथ ही नीलकंठ देखने वाले को धन की प्राप्ति भी होती है।
पंडित चंद्रशेखर बताते हैं कि नीलकंठ के विषय में एक कहावत भी है। ‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो और हमारी बात राम से कहियो।’ यही वजह कि लोग दशहरे के दिन नीलकंठ दर्शन के लिए अपने घरों की छत के साथ ही जंगल में भी जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नीलकंठ के दर्शन मात्र से ही पूरे साल व्यापार और नौकरी में कोई विघ्न नहीं आता है। परिवार में धन आना शुरू हो जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि नीलकंठ के दर्शन के बाद ही भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त की थी।
नीलकंठ के दर्शन से ही भगवान राम को मिली थी ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति पंडित जी कहते हैं कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम पर रावण यानी ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था। इस पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम ने भगवान शिव की पूजा की थी। तब भगवान शिव नीलकंठ पंक्षी के रूप में धरती पर प्रकट हुए थे। इस तरह भगवान राम ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त हुए थे।