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नोएडा

डॉक्टरों की लापरवाही से भ्रूण की हो गई थी मौत, कार्रवाई के लिए जब इन्हें लिखा पत्र तो सुनाया गया ये फरमान

मुख्य बातें

दंपति ने गर्भ में बच्चे की मौत के बाद डॉक्टरों को दोषी ठहराते हुए दी थी शिकायत
यूपी मेडिकल काउंसिल ने जांच में दोनों डॉक्टरों को पाया दोषी

नोएडाAug 19, 2019 / 05:43 pm

Nitin Sharma

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नोएडा। हाईटेक शहर के एक (Private Hospital ) निजी अस्पताल में इलाज कराने गए एक दंपति ने गर्भ में हुई भ्रूण की मौत का जिम्मेदार दो डॉक्टरों को ठहराया। इस मामले में दंपति ने कोतवाली सेक्टर- 49 में शिकायत (Complaint) भी दी थी। जिस पर पुलिस ने धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज कर दोनों डॉक्टरों को मामले में आरोपी बनाया। साथ ही मामले की जांच (CMO) मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच शुरू की। यहां से मामला (Meerut Medical Board) मेरठ मेडिकल बोर्ड और इसके बाद (UP Medical Council) यूपी मेडिकल काउंसिल पहुंच गया।

जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा निवासी अंकित गर्ग की पत्नी गर्भवती थी। वह उनका सेक्टर-51 स्थित एक (Private) अस्पताल में (Checkup) करा रहे थे। एक दिन अचानक उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई। इस पर वह पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचे। अंकित गर्ग ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि प्रसव पीड़ा के दौरान डॉक्टर प्रतिभा सिंघल और डॉक्टर रितिका दीनानाथ ने उनकी पत्नी श्वेता कश्यप को देखने में देरी की थी। इसके चलते उनका “बच्चा लापरवाही के कारण मर गया।” उन्होंने भ्रूण के मौत की शिकायत मार्च माह में कोतवाली सेक्टर-49 में दी थी। जिस पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की। इसमें दोनों डॉक्टरों को आरोपी बनाया गया।

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UP Medical Council ने जांच कर दी चेतावनी

इस मामले को गौतमबुद्ध नगर के (Chief Medical Officer) मुख्य चिकित्सा अधिकारी तक ले जाया गया। यहां से इसे Meerut Medical Board भेजा गया। और फिर के इसके बाद यह मामला उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल पहुंचा। जिसमें अधिकारियों द्वारा जांच के आदेश दिए गए। रिपोर्ट में कहा गया, “डॉ प्रतिभा सिंघल और डॉ रितिका दीनानाथ को 25 जुलाई को हुई उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की जांच बैठक में चिकित्सीय जिम्मेदारी नहीं निभाने का दोषी पाया गया है।” इसमें कहा गया, “इसलिए, उन्हें उनकी चिकित्सीय प्रतिबद्धताओं के प्रति जिम्मेदार रहने की चेतावनी दी जाती है और सख्ती से चेताया जाता है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न दोहराई जाए।” मेडिकल काउंसिल के आदेश की कॉपी, जिला मजिस्ट्रेट, जिले के पुलिस कप्तान और पीडि़त को भेजी गई।

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