
पर्यावरणीय निरीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, महर्षि आश्रम परिसर में आबादी घनत्व के बावजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि परिसर से निकलने वाले अशोधित सीवेज को 200 मिमी हरे रंग के प्लास्टिक पाइप द्वारा प्राधिकरण की 400 मिमी व्यास वाली मुख्य सीवर लाइन में सीधे जोड़ा गया है, जिससे न केवल भूमिगत जलस्तर प्रदूषित हो रहा है, बल्कि जनस्वास्थ्य को भी भारी खतरा उत्पन्न हो रहा है।
इसी तरह, सेक्टर-110 स्थित लोटस पंचे सोसायटी में भी एसटीपी की क्षमता अनुरूप संचालन नहीं पाया गया। इन सोसायटियों द्वारा समय-समय पर शोधित अथवा अशोधित सीवेज को खुले नालों में प्रवाहित किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, ठोस अपशिष्ट नियम 2000 व 2016, तथा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 272 का उल्लंघन है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 272 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्वक ऐसा कार्य करता है, जिससे जीवन के लिए खतरनाक बीमारी फैलने की संभावना हो, तो उसे दो वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
पर्यावरण सेल की टीम ने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस बाबत सूचित कर दिया है, साथ ही संबंधित धाराओं के अंतर्गत इन सोसायटियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने की सिफारिश भी की गई है।
जनस्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत, पर्यावरण विभाग ने संबंधित प्राधिकरणों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो सके।
Published on:
24 Apr 2025 07:31 am
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