Hallmark Gold से आम जनता को चूना नहीं लगा सकेंगे सुनार, सरकार देगी सोने की शुद्धता की गारंटी।Gold Jewellery बेेचने पर भी मिलेगी सही कीमत।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नोएडा. Hallmark Gold. एक कहावत है कि सुनार तो अपनी मां की नथ में से भी नहीं छोड़ता। सुनार के पास कोई जेवर बनवाया है और उसे उसी सुनार को भी बेचने जाओ तो वह उसमें से भी कमा लेता है। लेकिन, अब यह करना सुनारों के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि देश में अब हॉलमार्क सोने के आभूषण बेचना अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने 15 जून से सोने के आभूषणों (Gold Jewellery) की शुुद्धता के लिए हॉलमार्क (Hallmark) के नियम को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। अब मार्केट में हॉलमार्क सोने के जेवर ही बेचे जा सकेंगे। इससे जहां सोने की शुद्धता (Gold Purity) तय होगी। वहीं, आम जनता को दुकानदार चूना नहीं लगा सकेंगे। देशभर में जहां शुरुआत में 256 जिलों मेें सोने की हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) शुरू की गई है, वहीं यूूपी के 19 जिलों में यह व्यवस्था लागू की गई है। अब इन शहरों में हॉलमार्क सोना (Hallmark Gold) ही बेचा जा सकेगा।
बता दें कि देश में सोने की ज्वेलरी की हॉलमार्किंग 2000 में शुरू हुई थी, लेकिन अब तक इसे सरकार ने अनिवार्य नहीं किया था। अब केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे देशभर में अनिवार्य कर दिया है। हॉलमार्क साइन वाली ज्वेलरी में अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार Hallmark Sign दिया जाता है। हॉलमार्क जेवर (Hallmark Jewellery) की गारंटी भारत सरकार देती है। बता दें कि 14 जून 2018 के नोटिफिकेशन के अनुसार, सोने के आभूषण (Gold Jewellery), सोने की कलाकृतियां (Gold Artefacts), चांदी के जेवर (Silver Jewellery) और चांदी की कलाकृतियां (Silver artefacts) हॉलमार्क की कैटेगरी में शामिल हैं। हालांकि हॉलमार्क सोना खरीदना थोड़ा महंगाा पड़ता है, क्योंकि ज्वेलरी पर 15 प्रतिशत तक अतिरक्त चार्ज देना पड़ता है। हॉलमार्क ज्वेलरी में भले ही मेकिंग चार्ज अधिक हो, लेकिन इसमें आपको मिलने वाले सोने की शुद्धता की गारंटी हाेती है। अधिकतर सुनार पहले सेे ही हॉलमार्क ज्वेलरी रखते हैं, लेकिन अन्य ज्वेलरी पर अधिक मुनाफे के चलते हॉलमार्क कम ही बेचते हैं।
22 कैरेट मतलब 91.6 प्रतिशत शुद्धता
यहां बता दें कि 22 कैरट वाले सोने में 91.6 प्रतिशत शुद्ध सोना होता है। ज्वेलरी पर 916 के साइन से इसकी पहचान होती है। इसके साथ ही ज्वेलरी पर बीआईएस लोगो (BIS Logo) यानी भारतीय मानक ब्यूरो का चिन्ह भी होता है। वहींं, अगर आप यह जानना चाहते हैं कि ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग किस वर्ष में की गई है तो ज्वेलरी पर दिए अंग्रेजी के अक्षरों से कर सकते हैं, जैसे हॉलमार्किंग की शुरुआत ए से होती है तो हॉलमार्किंग 2000 में हुई है। वहीं अगर एन लिखा हाेगा तो हॉलमार्किंग 2013 में की गई है।
एक्सपर्ट बोले- सबसे अच्छा निर्णय
गौतमबुद्धनगर में ज्वेलरी शाॅप चलाने वाले राहुल बंंसल ने बताया कि वह अधिकतर हॉलमार्क गोल्ड ज्वेलरी ही बेचते हैं। अब जब सरकार ने हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है तो केवल हॉलमार्किंग ज्वेलरी ही बेचेंगे। उन्होंने बताया कि इसे सोने के कारोबार में बड़ा बदलाव आएगा। सुनारों पर अब लोगों का विश्वास ज्यादा बढ़ेगा। वहीं, अब इस नियम के आने से कोई सुनार भोले-भालेे लोगों को कम शुद्धता वाला सोना ज्यादा शुद्धता बताकर नहीं बेच सकेगा। वहीं, अब जब लोग हॉलमार्किंग की गोल्ड ज्वेलरी खरीदेंगे और उसके बाद बेचनी भी पड़ेगी तो उन्हें उसके सही दाम मिलेंगे।
फिलहाल यूपी के 19 जिलों में Hallmark Gold की बिक्री
केंद्र सरकार ने शुरुआत में उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में हॉलमार्किंग ज्वेलरी बेचने की व्यवस्था की है। इनमें गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, आगरा, इलाहाबाद, बरेली, बदायूं, गोरखपुर, देवरिया, झांसी, जौनपुर, मथुरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, सहारनपुर और शाहजहांपुर शामिल हैं।