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Janmashtami 2018: इस दिन मनाई जाएगी कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, 45 मिनट का होगा पूजा का शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami 2018 : रक्षा बंधन के बाद है कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, जानिए भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की पूजा का शुभ मुहूर्त और समय

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Janmashtami 2018: इस दिन मनाई जाएगी कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, 45 मिनट का होगा पूजा का शुभ मुहूर्त

नोएडा। 26 अगस्‍त को रक्षा बंधन का त्‍यौहार पड़ रहा है। फिर कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी है। कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात ठीक 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 2 सितंबर 2018 को पड़ेगी। इस दिन भक्‍त पूरे दिन व्रत रखकर कृष्‍ण जन्‍म के उपरांत प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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यह है पूजा का शुभ मुहूर्त

सेक्‍टर-2 स्थित लालमंदिर के पुजारी विनोद शास्‍त्री का कहना है कि Krishna Janmashtami भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार अष्‍टमी तिथि 2 सितंबर को पड़ रही है। उन्‍होंने कहा कि जन्‍माष्‍टमी पूजा का शुभ मुहूर्त मिनट का है। उनके अनुसार, पूजा का समय रात 11.57 से 12.43 तक है। उनका कहना है क‍ि अष्‍टमी तिथि का आरंभ 2 सितंबर 2018 दिन रविवार को रात 8.47 बजे से होगा, जिसका समापन 3 सितंबर को शाम 7.19 पर होगा। इसका मतलब व्रत 3 सितंबर को शाम 7.19 के बाद खोला जाएगा।

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ऐसे करें पूजा

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी वाले दिन भक्‍त पूरे दिन व्रत रखते हैं। रात 12 बजे भगवान के जन्‍म के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अश्‍टमी तिथि समाप्‍त होने के बाद व्रत खोलना चाहिए। पंडित विनोद शास्‍त्री ने बताया कि इस दिन विष्‍णु के अवतार कान्‍हा को दूध, जल और घी से अभिषेक करना चाहिए।

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यह है कथा

पुराणों के अनुसार, कंस के अत्‍याचार को खत्‍म करने के लिए ही भगवान श्री विष्‍णु कृष्‍ण के रूप में अवतरित हुए थे। कंस अत्याचारी राजा था। पह अपनी प्रजा पर बहुत जुल्‍म करता था। उसकी बहन का नाम देवकी था। देवकी का विवाह यदुवंशी राजकुमार वासुदेव से हुआ था। विवाह के पश्चात जब कंस दोनों को लेकर घर आ रहा था तो एक आकाशवाणी हुई थी। इसमें कहा गया कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में बंद कर दिया था। इसके बाद कंस ने देवकी की सभी संतानों को मार दिया था। आठवें पुत्र के रूप में श्रीहरि ने स्वयं देवकी के उदर से पूर्णावतार लिया था। यह अवतार उन्होंने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में लिया था।

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