12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इस चुनाव में बसपा बिगाड़ सकती है भाजपा का खेल

भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह 30 मार्च को बागपत में मंत्रियों, विधायकों व पदाधिकारियों के साथ बैठक कर मिजाज समझने की कोशिश करेंगे

2 min read
Google source verification
bsp bjp

नोएडा। गोरखपुर और फूलपुर उपचनुाव के बाद बसपा और सपा मिलकर कैराना में भी भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। इसी साल फरवरी में भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इसके बाद सभी दलों ने इस सीट पर निगाहें गड़ा दी हैं। वहीं, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में हार के बाद भाजपा भी इस सीट को गंवाने के मूड में नहीं है। माना जा रहा है कि भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह 30 मार्च को बागपत में मंत्रियों, विधायकों व पदाधिकारियों के साथ बैठक कर यहां का मिजाज समझने की कोशिश करेंगे।

हसीन जहां ने मोहम्‍मद शमी से बात करने के लिए रखी यह बड़ी शर्त

समीकरण बसपा के पक्ष में

दरअसल, कैराना का समीकरण बसपा के पक्ष में है इसलिए माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में बसपा अपनी परंपरा को तोड़ते हुए मैदान में उतर सकती है। कैराना में मुस्लिम वोटरों की संख्‍या करीब 6 लाख और दलित मतदाताओं की संख्‍या करीब 2.5 लाख है। इस हिसाब से देखा जाए तो दलित-मुस्लिम समीकरण यहां बहुत मजबूत है। वहीं, कैराना जाट और गुर्जरों की बात करे तो उनकी संख्‍या 1.5-1.5 लाख है। इसको देखते हुए बसपा आलाकमान की तरफ से तीन-तीन नाम भी मांगे गए। साथ ही उसे सपा का साथ भी मिल जाएगा। इससे दोनों पार्टियों में बंटने वाले मुस्लिम भी एक जगह जाएंगे।

इस सपा विधायक के समर्थकों के घर की कुर्की, सारा सामान ले गई पुलिस

जयंत चौधरी भी लड़ सकते हैं चुनाव

उधर, राष्‍ट्रीय लोक दल (रालोद) की तरफ से पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष जयंत चौधरी के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा चल रही है। अगर बसपा व सपा गठबंधन की तरफ से उनका प्रत्‍याशी उतारा गया तो जयंत चौधरी को अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा। इससे जाट वोटर उनकी तरफ जा सकते हैं।

यूपी के इस जिले में आपसी सहमति के बाद तोड़े जाएंगे मंदिर और मस्जिद

मृगांका सिंह को भाजपा से टिकट मिलने की उम्‍मीद

अगर बात भाजपा की करें तो हुकुम सिंह को राजनीतिक विरासत को उनकी बेटी मृगांका सिंह आगे बढ़ा रही हैं। संभावना जताई जा रही है कि पार्टी उन्‍हें उपचुनाव में मौका देगी। वैसे मृगांका सिंह ने उत्‍तर प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भी किस्‍मत आजमाई थी, लेकिन उन्‍हें सपा के नाहिद हसन से शिकस्‍त झेलनी पड़ी थी। पार्टी उनके जरिए सहानुभूति वोट लेने की कोशिश में रहेगी लेकिनउ जयंत चौधरी के मैदान में उतरने से वोटर बंट सकते हैं। जबकि बसपा का उम्‍मीदवार उतरने पर भाजपा के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।

बड़ी खबर: अब ये तीन अक्षर बने योगी के लिए बड़ी मुसीबत, इस सीट पर लग सकता है बड़ा झटका