
नोएडा। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान रविवार को कर दिया। विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा ने 10 प्रत्याशियों की घाेषणा की है। इसमें दो उम्मीदवार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ व बिजनौर से हैं। इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी का नाम फिर गायब रहा। पहले संगठन की सूची, फिर राज्यसभा सांसदों की लिस्ट और अब विधान परिषद के लिए उम्मीदवारों के नाम, इन सबमें बाजपेयी की अनदेखी की गई। मेरठ में मुलायम सिंह यादव की खास रह चुकीं सरोजनी अग्रवाल को टिकट देकर बाजपेयी का पत्ता साफ कर दिया गया।
सरोजनी अग्रवाल की हुई पैरवी
रविवार को घोषित लिस्ट में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी का नाम फिर नदारद रहा। बताया जा रहा है कि पूर्व एमएलसी सरोजनी अग्रवाल की पैरवी कई लोगों ने की जबकि बाजपेयी इसमें पीछे रह गए। आठ माह पहले ही भाजपा में शामिल हुई डाॅ. सरोजिनी अग्रवाल को एमएलसी प्रत्याशी बना दिया गया। वहीं, इस फैसले से मेरठ के भाजपा कार्यकर्ता भी अवाक रह गए।
राज्यसभा सांसद की लिस्ट में भी नहीं मिली थी जगह
संगठन और राज्यसभा सांसदों की लिस्ट में नाम न आने पर माना जा रहा था कि इस बार एमएलसी की सूची में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का नाम जरूर होगा लेकिन ऐसा न हुआ। चार बार विधायक, एक बार राज्य मंत्री रहने के साथ ही लक्ष्मीकांत बाजपेयी को पार्टी का सबसे सफल प्रदेश अध्यक्ष भी माना जाता है। बताया जाता है कि वह पार्टी में घेरेबंदी के शिकार हो गए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से डाॅ. लक्ष्मीकांत, अशोक कटारिया, डाॅ. सरोजिनी अग्रवाल, सुनील भराला, जगत सिंह और जितेंद्र वर्मा का भी नाम चर्चा में था। वहीं, सपा में एमएलसी रहते सरोजिनी अग्रवाल ने पिछले साल इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था। बताया जा रहा है कि लखनऊ भागदौड़ के साथ ही कई बड़े चेहरों की पैरोकारी ने उनकी राह आसान कर दी।
Published on:
16 Apr 2018 12:07 pm
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