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लाखों घर खरीदारों की समस्या लेकर पीएमओ पहुंचा फ्लैट बायर्स संगठन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दिया ज्ञापन

खबर की मुख्य बातें- -बायर्स का कहना है कि कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर वह अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं -इस कड़ी में फ्लैट बॉयर्स की संस्था नेफोमा ने पीएमओ ऑफिस में ज्ञापन देकर सुझव दिए -जिससे लाखों बायर्स को घर मिलने का रास्ता साफ हो सके

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लाखों बायर्स की समस्या लेकर पीएमओ पहुंचा Nefoma, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम दिया ज्ञापन

नोएडा। गौतमबुद्ध नगर जिले में लाखों फ्लैट बायर्स अपने जीवन भर की कमाई बिल्डरों को देने के बाद भी करीब दस वर्ष से अपने सपनों के घर का इंतजार कर रहे हैं। बायर्स का कहना है कि कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर वह अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। इस कड़ी में फ्लैट बॉयर्स की संस्था नेफोमा ने लाखों बायर्स की समस्याओं का निस्तारण करने के लिए पीएमओ ऑफिस में ज्ञापन देकर सुझव दिए। जिससे लाखों बायर्स को घर मिलने का रास्ता साफ हो सके।

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नेफोमा अध्यक्ष अन्नू खान ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा व ग्रेटर नोएडा वेस्ट में लाखों बायर्स अपने घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कई बार इसके लिए प्रदर्शन भी किया गया। लेकिन समस्या जस की तस ही है। इसके समाधान के लिए हमारे द्वारा पीएमओ ऑफिस में ज्ञापन देकर सुझाव दिए गए हैं। निम्नलिखित बिन्दुओं पर प्रधानमंत्री द्वारा संज्ञान लेते हुए जल्द समाधान समिति गठित कर कार्रवाही करने का निवेदन किया है। लाखों बायर्स को सरकार से बहुत उम्मीदे हैं। इस दौरान नेफोमा महासचिव रश्मि पांडेय, सदस्य आर. के. कुशवाहा, आसिम खान, अजय कुमार साथ रहे ।

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1. लाखों बायर्स के 95% पैसे लेकर बिल्डर फ्लै नहीं बना रहे हैं। बिल्डर पैसे न होने का हवाला देते हैं जबकि ज्यादातर पैसे बिल्डरों ने अपने रिश्तेदारों, दूसरे प्रोजेक्टो में ट्रांसफर कर दिए है। कई बार शिकायत करने के बाद ग्रेटर नोएडा, नोएडा व यमुना एक्सप्रेस प्राधिकरण ने इनकी कोई जांच नहीं की। बिल्डरों ने जो बेनामी सम्पत्ति बायर्स के पैसों से इक्कठी की है, उसे तुरंत नीलाम कर अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा कराया जाए।

2. आम्रपाली, जेपी, यूनीटेक, अंसल, अर्थ, शुभकामना, आरजी लक्सरी, जेनएसी, देविका गोल्ड होम्स, वेदान्तम, मिस्ट एवेन्यू भसीन ग्रुप, वेब सिटी सेंटर, सुपरटेक, मोरफेस आदि के बायर्स पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ बैंक की किश्त जा रही है, वहीं घर का किराया भी देना पड़ रहा है। साथ ही फ्लैट मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में जब तक फ्लैट नहीं मिल जाते तब तक बैंक की किश्त रोक दी जाए। जिससे बायर्स को कुछ राहत मिल सके।

3. बिल्डर बैंकों से मिलीभगत कर बायर्स का पैसा हड़पने के लिए खुद को दिवालिया घोषित कराने के लिए एनसीएल्टी में केस करवा रहे हैं, जबकि बायर्स न होता तो न प्रोजेक्ट होता और न बिल्डर होते। ऐसे में बायर्स का पहला हक होता है इन प्रोजेक्टों पर।

4. सरकार स्वयं बायर्स के फ्लैट बनवाएं। प्राधिकरण के पास फ्लैट बनाने के पर्याप्त साधन हैं, जबकि प्राधिकरण खुद जमीन का मालिक है। क्योंकि, बिल्डरों को दी गई जमीन लीज होल्ड प्रोपर्टी है। बिल्डरों ने अपने प्रॉफिट के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन लेकर रखी हुई है। प्राधिकरण चाहे तो वह जमीन बिल्डरों से वापिस ले सकती है। जिससे बिल्डरों का बोझ कम हो और आज के रेट में जमीन को बेचकर फ्लैट तैयार करवा सकती है।