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पत्रिका एक्सक्लूसिव : अथॉरिटी और एजेंसी का विवाद, भूख से तड़पने को मजबूर हुए करीब 1500 जानवर!

locationनोएडाPublished: Nov 17, 2019 01:22:52 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights- नोएडा के सेक्टर-94 में जानवरों के लिए बना शेल्टर होम, प्राइवेट एजेंसी करती है संचालन – जानवरों के लिए दवा-खानपान और अन्य जरूरी सामग्री नोएडा अथॉरिटी मुहैया कराती है – एजेंसी का आरोप-दो महीने से आपूर्ति रोक दी गई, अथॉरिटी बोली-सब कुछ समय से भेज रहे

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आशुतोष पाठक/नोएडा. गौतमबुद्ध नगर जिले के सेक्टर-94 में एक शेल्टर होम है। जानवरों के लिए बनाए गए इस शेल्टर होम में करीब 1500 जानवर रखे गए हैं। इनमें करीब 800 कुत्ते और बाकि बिल्ली, गाय, गधे, घोड़ों के अलावा विभिन्न प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। शेल्टर होम का संचालन एक प्राइवेट एजेंसी करती है, जबकि इसकी फंडिंग का जिम्मा नोएडा अथॉरिटी के पास है। अथॉरिटी के पास फंडिंग की जिम्मेदारी करीब दो साल पहले आई है।
यह तो थी इस शेल्टर होम और इसके संचालन से जुड़ी छोटी सी जानकारी। लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह बताने के लिए भी रिपोर्ट नहीं लिखी गई है। बल्कि, इस रिपोर्ट को लिखने का असल मकसद है आपके सामने एक मानवीय और संवेदनशील पहलू सामने लाना। जी हां, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां के जानवर बीते दो महीने से भूख से तड़प रहे हैं। उन्हें भरपेट भोजन नहीं मिल रहा। तीन महीने से यहां बीमार जानवरों को दवा नहीं मिल रही। शेल्टर होम का संचालन कर रही एजेंसी के कर्मचारियों का आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी ने शेल्टर होम को भेजी जा रही सभी तरह की आपूर्ति रोक दी है।
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एजेंसी के एक कर्मचारी ने Patrika.com को बताया कि गत अगस्त से अथॉरिटी ने यहां न तो दवाएं भेजी हैं और न ही सितंबर से जानवरों के खाने-पीने और साफ-सफाई के लिए जरूरी सामानों की आपूर्ति की है। सितंबर में कुछ खाने की आपूर्ति जरूर हुई, लेकिन यह मुश्किल से एक हफ्ते ही चला। कर्मचारी का आरोप है कि दवाओं और खाने की कमी को लेकर अथॉरिटी के अधिकारियों को कई बार जानकारी दी गई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
एजेंसी के काम से खुश नहीं अथॉरिटी

वहीं, सूत्रों की मानें तो नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी शेल्टर का संचालन कर रही मौजूदा एजेंसी के कामकाज से संतुष्ट नहीं है। अथॉरिटी को मौजूदा एजेंसी के काम में काफी अनियमितताएं भी देखने को मिली हैं। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही इस शेल्टर के संचालन के लिए किसी दूसरी एजेंसी का चयन किया जा सकता है। बीते करीब दो साल पहले तक शेल्टर का प्रबंधन एसपीसीए (सोसाइटी फार द प्रीवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स) कर रहा था। इसके बाद संचालन का काम अथॉरिटी के पास आ गया।
खिला नहीं सकते तो कैद क्यों कर रखा है

अब तक जो बातें सामने आई हैं, उनमें एजेंसी के कर्मचारी और अथॉरिटी के अफसर अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं। दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इन दोनों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच जानवरों को भूखा रहना पड़ रहा है। उन्हें कैद करके रखा गया है, लेकिन खाने को नहीं दिया जा रहा। ऐसे में वे न सिर्फ लगतार कमजोर होते जा रहे हैं बल्कि, बीमारियों से ग्रसित भी हो रहे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अथॉरिटी और एजेंसी के विवाद में जानवरों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है।
शेल्टर में किसी चीज की कमी नहीं

नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी इंदुप्रकाश सिंह से जब Patrika.com ने बात की तो उन्होंने बताया कि शेल्टर में किसी भी तरह की कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि वह खुद शेल्टर होम में जाकर इस बात की पड़ताल कर चुके हैं। वहां सब कुछ पर्याप्त मात्रा में रखा है। जब भी एजेंसी की तरफ से किसी चीज की डिमांड आती है, तो उसे तुरंत पूरी भी की जाती है। हां, शेल्टर होम में कुछ अनियमितताएं जरूर हैं। रिकॉर्ड मेनटेन नहीं किए जा रहे थे, जिसके बाद अब सख्ती बरती गई है। कुछ के खिलाफ एफआईआर भी कराई गई है। सख्ती के बाद ही एजेंसी के कर्मचारी ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं कि जानवरों को खाना और दवाएं नहीं दी जा रही है। यह आरोप बिल्कुल गलत है।
शेल्टर के संचालन में काफी अनियमिताएं सामने आई हैं। जो लोग शेल्टर का संचालन कर रहे हैं, वो कोई भी रिकॉर्ड मेनटेन नहीं कर रहे। जब उनसे जांच के लिए रिकॉर्ड मांगा गया तो वे न तो चंदे का हिसाब-किताब दे सके और न ही फंड का। सामान कब आया, कब-कब कितना खर्च हुआ इन सबकी जानकारी वे नहीं दे सके। चंदे का पैसा कहां और कितना खर्च हुआ, इसकी जानकारी भी नहीं है। कोई संस्थान बिना रिकॉर्ड के कैसे संचालित हो सकता है। हम इस बारे में उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी कर रहे हैं।
– रितु माहेश्वरी, सीईओ, नोएडा अथॉरिटी

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