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sawan 2018: इस मंदिर में मुस्लिम भी करते हैं शिव की पूजा

यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम के बीच आस्था और सौहार्द का प्रीतक आज भी माना जाता है

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सावन में इस मंदिर मुस्लिम भी करते हैं शिव की अराधना

नोएडा. देश में राममंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लोग राम और अल्लाह को अलग-अलग कर आपसी मतभेद पैदा कर रहे है। लेकिन मुरादाबाद की तस्वीर उलट है। आजादी से पहले मुस्लिम आबादी में एक मंदिर बनाया गया है। यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम के बीच आस्था और सौहार्द का प्रीतक आज भी माना जाता है। मुस्लिम आबादी के बीच में यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर और दरगाह की दीवार आपस में सटी हुई है। मंंदिर परिसर के सामने ही मजिस्द है। यहां एक मंदिर में दूर-दराज से भक्त पूजा करने लिए आते है तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग मजिस्द में नमाज अता भी करते है। यह वजह है कि यहां हिंदू और मुस्लिम के बीच में भाईचारा देखने को मिलता है।

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सांप्रदायिक सौहार्द और सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल रामपुर के भमरव्वा गांव में देखी जा सकती है। यहां सालों पुराना पातालेश्वर शिव मंदिर है। मंदिर के पुजारी पंडित नरेश कुमार शर्मा ने बताया कि भमरव्वा गांव में गांव की आस—पास की भूमि बंजर थी। यहां करीब 200 साल पहले एक शिवलिंग जमीन से निकली थी। दरअसल में एक किसान भूमि की खुदाई कर रहा था। उसी दौरान यह शिवलिंग निकली थी। बताया जाता है कि रामपुर के तत्कालीन नवाब अहमद अली खां को शिवलिंग की जानकारी हुई तो उन्होंने मंदिर बनाने का फैसला लिया। मंदिर बनने के बाद में इसकी जिम्मेदारी एक पुजारी को सौंप दी गई थी।

बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण रामपुर के तत्कालीन नवाब अहमद अली खान ने कराया था। पुजारी ने बताया कि उस दौरान गांव और आस-पास एरिया में बीमारी फैल गई थी। उन्होंने बताया कि मंदिर की स्थापना होने के बाद में बीमारी नहीं रही। तभी से हिंदू के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी मंदिर की देखरेख करते है। दरअसल में भमरव्वा गांव के पास में हिंदू आबादी कम है। उसके बाद भी यहां दूर-दराज के लोग पूजा अर्चना करने आते है। सावन माह में आस्था के चलते काफी दूर-दूर से कांवडियां कांवड़ चढ़ाने के लिए आते है।

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आजादी से पहले स्थापित हुआ मंदिर आज हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है। मंदिर के सामने मजिस्द है। मंदिर और दरागाह की दीवार जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि अभी तक धार्मिक आस्था को लेकर कभी विवाद भी नहीं हुआ है। पुजारी नरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि मुस्लिम लोग भी मंदिर में आकर प्रसाद चढवाते है। प्रसाद को भगवान भोलेनाथ पर चढ़ाने के बाद में उन्हें वापस कर देते हैं। भंडारे के अलावा लगने वाले मेले में भी मुस्लिम समाज के लोग सहयोग करते हैं। यहीं वजह है कि सालों से यहां दोनों समुदाय के बीच में आपसी भाईचारा है। सावन माह में शिवभक्त की पूजा के लिए मंदिर परिसर में तैयारी की जा रही है। आने वाले शिवभक्तों को देखते हुए स्थानीय लोग बढ़चढ़कर हिस्सा लेते है।