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गौरतलब है कि PF के खाते में कर्मचारी की सैलरी में से हर महीने अपने वेतन की बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा जमा किया जाता है। उतना ही पैसा कंपनी भी जमा करती है। कंपनी जो हिस्सा पीएफ में जमा करती है, उसका 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में भी जाता है। इसके जरिए ही कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है। EPS से न सिर्फ कर्मचारी को, बल्कि उसके परिवार को भी इसका लाभ होता है। PF खाता धारकों में से अगर किसी कारणवश ईपीएफ सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार यानी पत्नी या पति और उसके बच्चों को भी पेंशन का फायदा दिया जाता है। गौरतलब है कि इसे परिवार पेंशन भी कहा जाता है।
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PF खाता धारक को पेंशन का फायदा उठाने के लिए कर्मचारी को 10 साल लगातार नौकरी करना जरूरी है। लेकिन, EPFO ने परिवार बीमा के लिए 10 साल की सर्विस की अनिवार्यता नहीं रखी है। यानी 10 वर्ष पूरा होने से पहले भी अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशन का फायदा मिलेगा।
EPS स्कीम के सदस्य की मौत हो जाने पर उनकी पत्नी या पति को पेंशन दी जाती है। इस स्कीम की खास बात ये है कि अगर अगर कर्मचारी के बच्चे हैं तो उसके 2 बच्चों को भी 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन दी जाती है। अगर कर्मचारी शादीशुदा नहीं है तो उसके नॉमिनी को पेंशन मिलती है। अगर कोई नॉमिनी नहीं है। कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता प्राकृतिक रूप से पेंशन के हकदार होते हैं।
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इस स्कीम में पेंशन के अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आपको स्वतः बीमा मिलता है। EDLI(एंप्लॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस) योजना के अंतर्गत आपके पीएफ खाते पर 6 लाख रुपए तक इंश्योरेंस मिलता है, जिसकी लमसम राशि मिलती है। इसका फायदा किसी दुर्घटना, बीमारी या मृत्यु के समय मिलता है।
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गौरतलब है कि इस पेंशन स्कीम में सिर्फ कंपनी का ही योगदान होता है। यह PF में कंपनी की ओर से दिए जाने वाले 12 फीसदी योगदान का 8.33% होता है। खास बात ये है कि पेंशन में सरकार भी योगदान देती है, लेकिन, बेसिक सैलरी के 1.16 फीसदी से ज्यादा नहीं होता। EPF सदस्य रिटायरमेंट के अलावा पूरी तरह से शारीरिक रूप से अपंग हो जाने पर भी पेंशन दिया जाता है।