
किसानों ने आरोप लगाया है कि लाठीचार्ज के दौरान उन्हें जान से मारने की नीयत से मारा-पीटा गया। इस घटना के बाद आक्रोशित किसानों ने पुलिस को तहरीर सौंपकर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। किसानों की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में नोएडा अथॉरिटी के दो जूनियर इंजीनियरों निखिल और विनीत, पटवारी मुकुल और सुपरवाइजर मनीष के नाम शामिल हैं। इसके साथ ही अथॉरिटी में तैनात सिपाही रहीसुद्दीन और पुलिसकर्मी जितेंद्र सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
किसानों ने आरोप लगाया है कि इन सभी ने मिलकर लाठीचार्ज की कार्रवाई को अंजाम दिया और किसानों पर बर्बरता दिखाई। इस मामले में सबसे बड़ी कार्रवाई सिपाही रहीसुद्दीन पर हुई है। पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
किसानों का आरोप है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को लेकर बैठे थे, लेकिन अचानक उन पर लाठियां बरसाई गईं। किसानों ने यह भी कहा कि वे लंबे समय से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अथॉरिटी और प्रशासन के सामने आवाज उठा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। लाठीचार्ज ने उनकी पीड़ा और आक्रोश को और बढ़ा दिया है।
इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। फिलहाल पुलिस ने मामले को संवेदनशील मानते हुए जांच की जिम्मेदारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी है और किसानों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया है।
Published on:
13 Sept 2025 09:27 am
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