
radha ashtami
नोएडा। भगवान श्री कृष्ण का नाम बिना राधा के लिए नहीं लिया जाता है। कहा जाता है कि राधा के बिना कृष्ण और कृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं। पंडितों के अनुसार, radha ashtami के व्रत के बिना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत अधूरा माना जाता है। इस बार Radha Ashtami 17 सितंबर 2018 दिन मंगलवार को पड़ रही है। सेक्टर-44 निवासी पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है कि कृष्ण जन्माष्टमी के करीब 15 दिन बाद Radha Ashtami मनाई जाती है। इस दिन राधा का जन्म हुआ था।
कब है Radha Ashtami
पंडित रामप्रवेश तिवारी का कहना है कि भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन को राध जी के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने पर ही जन्माष्टमी का व्रत पूरा होता है। बरसाना में समारोह होता है। राधाष्टमी के दिन श्रद्धालु वहां के गहवर वन की परिक्रमा करते हैं।
ऐसे करें पूजा
पंडित रामप्रवेश तिवारी के अनुसार, इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के पश्चात स्नान करें और स्वच्छ धुले हुए वस्त्र पहनें। सुबह पूजा घर की अचछ से सफाई करें और राधा जी की मूर्ति का पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उनको नए वस्त्र पहनाएं और श्रंगार करें। राधा जी की सोने या किसी अन्य धातु से बनी हुई मूर्ति को विग्रह में स्थापित किया जाता है। इसके बाद राधा जी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर धूप, दीप, फल, फूल आदि चढाने चाहिए। इस दिन व्रत रखने से खास फल मिलता है।
यह है कथा
कहा जाता है कि वृषभानु गोप की पुत्री का नाम राधा था। जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे तब भूमि कन्या के रूप में उन्हें राधाजी मिली थी। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि राधा जी लक्ष्मी जी का अवतार है।
यह है महत्व
पंडित रामप्रवेश तिवारी ने बताया कि राधाष्टमी की कथा सुनने से सुख, धन और धान्य का आगमन होता है। राधा जी के मंत्र के जाप से मोक्ष मिला है।
Published on:
15 Sept 2018 01:22 pm
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