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ये हिंडन का पानी नहीं, जहर है

देहरादून स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट की प्रयोगशाला में सामने आर्इ भयानक तस्वीर

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Sarad Asthana

Apr 21, 2016

hindon river

hindon river

सौरभ शर्मा, नोएडा।
वेस्ट यूपी में बहने वाली हिंडन आैर उसकी दोनों सहायक नदियां जीवन देने
वाली नहीं बल्कि मृत्युदायिनी हो गर्इ हैं। ये बात हम नहीं बल्कि देहरादून
स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट की लैब में हुर्इ जांच के बाद सामने
आर्इ है। ताज्जुब की बात तो ये है कि अभी तक भी न तो प्रशासन आैर न ही पोल्यूशन डिपाटर्मेंट इस बारे में चेता है। लगातार हिंडन में केमिकल युक्त
पानी आैर बाकी कूड़ा जा रहा है, जो उसे आैर भी ज्यादा जहरीला बनाने में
तुला हुआ है। आपको बता दें कि रोजाना इन तीनों नदियों में कुल सभी
उद्योगों से निकलने वाला करीब 193500 किलोलीटर तरल गैरशोधित व सीवेज डाला
जाता है।


हिंडन व उसकी दोनों सहायक
नदियों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए इनके 21
नमूने लिए गए थे। एक नमूना हिंडन नदी के यमुना नदी में मिल जाने के
पश्चात यमुना का भी लिया गया। इन सभी नमूनों का परीक्षण देहरादून स्थित
पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट की प्रयोगशाला में कराया गया। लैब में नमूनों की
जांच के बाद बड़ी भयानक तस्वीर सामने आर्इ। इन नमूनों में लैड (सीसा),
क्रोमियम व कैडमियम जैसी भारी धातुएं काफी मात्रा में पार्इ गर्इ। यही
नहीं, बीएचसी, हेप्टाक्लोर व एल्ड्रिन जैसे प्रतिबंधित कीटनाशक भी इन नमूनों
में मिले। ताज्जुब की बात तो ये थी कि जब तीनों नदियों की बायोमाॅनीटीरिंग
की गई तो जांच में पता चला कि नदी में एक भी जंतु नहीं है। जांच में नदियों
की इलेक्ट्रिकल कंडक्टीविटी व पीएच बहुत अधिक बढे़ हुए पाए गए।


शुरू से अंत तक जहर

हिंडन
नदी की शुरुआत से लेकर अंत तक जहर ही जहर फैला हुआ है। स्टार पेपर मिल के
नाले (हिंडन नदी का प्रारंभ इसी नाले से होता है) में लैड 0.34 व
क्रोमियम 1.84 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से पाए गए। हेप्टाक्लोर 0.65,
फिपरोनिल 0.28 व बीएचसी (डेल्टा) 0.67 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाई गई। नदी
की कुल लंबाई 260 के बाद मोमनाथल गांव के समीप लिए गए पानी के नमूने में
लैड 0.10, क्रोमियम 3.643 आैर कैडमियम 0.002 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से
पाए गए।


गन्ना मिलों के नालों ने किया बुरा हाल

हिंडन को खराब
करने में कृष्णी आैर काली नदियों से आने वाला कचरा भी मुख्य कारण है,
क्योंकि ये कचरा सीधे आैद्योगिक फैक्ट्रियों से निकलता है। नदी में
दर्जनों उद्योगों का रोजाना करीब 98500 किलोलीटर तरल गैरशोधित कचरा सीधे
डाला जाता है। जब तितावी के गन्ना मिलों का कचरा गिरने से पहले नदी के नमूनों की जांच
की गर्इ तो लैड, क्रोमियम व कैडमियम की मात्रा 0.21, 5.72 व 0.013
मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। कचरा गिरने के बाद नमूने में लैड,
क्रोमियम व कैडमियम की मात्रा 0.28, 6.64 व 0.012 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई
गई। बुढ़ाना में गन्ना मिल का नाला हिंडन में गिरने से पहले जो नमूना
लिया गया, उसमें लैड व कैडमियम की मौजूदगी नहीं मिली। इस नमूने में क्रोमियम
भी 9.43 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया, जबकि हिंडन में गन्ना मिल का
नाला गिरने के बाद लैड व क्रोमियम की मात्रा 0.14 व 12.25 मिलीग्राम प्रति
लीटर पाई गई।


कृष्णी नदी का हाल

कृष्णी नदी की शुरुआत ननौता के
सहकारी गन्ना मिल आैर आसवनी डिस्टलरी के गैरशोधित तरल कचरे से होती है। यह
तरल कचरा एक नाले के माध्यम से भनेड़ा खेमचंद गांव में आकर कृष्णी में
मिलता है। जब यहां के नमूनों की जांच की गर्इ तो लैड 0.12, क्रोमियम 3.50
तथा कैडमियम 0.005 मिलीग्राम प्रति लीटर मिले। वहीं हेप्टाक्लोर,
हेपटाक्लोर एपोक्साइड, फिपरोनिल, एल्ड्रिन एवं बीएचसी (डेल्टा) की मात्रा
0.94, 1.44, 0.39, 0.44 व 2.36 माइक्रोग्राम प्रति लीटर गई। नदी के आसपास
के जितने भी उद्योग हैं, उन सभी से करीब 10000 किलो लीटर तरल कचरा प्रति दिन
कृष्णी नदी में डाला जाता है।


85000 किलोलीटर कचरा रोज

काली
नदी के हिंडन में मिलने से पहले पिठलोकर गांव के निकट से लिए गए एक नमूनेे
में लैड 1.12, क्रोमियम 5.80 व कैडमियम 0.003 मिलीग्रमा प्रति लीटर पाया गया। इसी में फिपरोनिल व बीएचसी (डेल्टा) जैसे कीटनाशकों की मात्रा 1.32 व
3.9 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाई गई। गौरतलब है कि काली नदी में देवबंद व
मुजफ्फरनगर का सीवेज भी डाला जाता है। करीब पच्चीस पेपर मिलों
का तरल गैरशोधित कचरा भी एक नाले के माध्यम से नदी में डाल दिया जाता है। इन
सभी उद्योगों से करीब 85000 किलोलीटर गैरशोधित तरल कचरा काली नदी में
डाला जाता है। जब एक नमूना हिंडन नदी के यमुना में मिल जाने के बाद
तिलवाड़ा गांव के निकट से यमुना नदी का लिया गया तो लैड, क्रोमियम व
कैडमियम की मात्रा 1.12, 6.78 व 0.014 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई।


अधिकारियों को प्लान बनाने को बोला गया

मेरठ मंडल के कमिश्नर आलोक सिन्हा का कहना है कि हमारी
आेर से पूरी कोशिश है कि हिंडन को पूरी तरह से साफ कर जीवनदायिनी बनाया
जाए। इसी प्रयास में जिन जिलों से हिंडन होकर गुजरती है, वहां के अधिकारियों
को प्लान बनाने के लिए बोल दिया गया है। साथ ही सहायक नदियों को भी साफ
करने की जिम्मेदारी दी गर्इ है, ताकि वे जब हिंडन में मिले तो साफ हों।


उद्योगों पर बरतनी होगी सख्ती


नीर फाउंडेशन के अध्यक्ष रमन त्यागी का कहना है कि जब
तक उद्योगों का तरल कचरा नदियाें में मिलने से नहीं रोका जाएगा तब हालात
नहीं सुधरेंगे। प्रशासन को उद्योगों पर सख्ती अपनानी होगी, ताकि वे अपने
कचरे को सीधे नदियों में ना डालें। वरना आने वाले दिनों में स्थिति आैर भी
ज्यादा बुरी हो जाएगी।


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