
Teachers Day 2018: शिक्षक दिवस पर यह Speech या Essay देकर आप जीत सकते हैं अपने गुरुओं का दिल
नोएडा। हमारे जीवन को एक आकार देने में हमारे शिक्षकों को बहुत बड़ा हाथ होता है। हमारे माता-पिता हमारे पहले शिक्षक होते हैं, जो हमें होश संभालने से पहले अच्छाई और बुराई में अंतर कराना सिखाते हैं। स्कूल में पहुंचने के बाद वे शिक्षक ही होते हैं, जो हमें एक नई राह दिखाते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। 5 सितंबर को हम Teachers Day पर अपने इन्हीं गुरुओं का सम्मान करते हैं।
कब मनाया जाता है शिक्षक दिवस
वैसे तो पूरी दुनिया में Shikshak Divas मनाया जाता है लेकिन सभी जगह अलग-अलग दिन होता है। वर्ल्ड टीचर्स डे 5 अक्टूबर को है जबकि चीन में शिक्षक दिवस 10 सितंबर को होता है। इसी तरह भारत में 5 सितंबर को Teachers Day मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों में बच्चे अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं और उनकाे गिफ्ट भी प्रदान करते हैं।
टीचर डे क्यों मनाया जाता है
भारत में हर साल 5 सिंतबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश के सबसे पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वह एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। इस दिन सर्वश्रेष्ठ चयनित शिक्षकों को भारत सरकार पुरस्कार भी प्रदान करती है।
टीचर्स डे पर Speech या Essay
शिक्षकों की महत्ता समझाने के लिए सबसे पहले मैं कबीर का यह दोहा बेलना चाहूंगा।
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय।।
मतलब गुरु और गोबिंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए। ऐसे में गुरु के चरणों में प्रणाम करना ही सबसे उत्तम है। उनकी ही कृपा से भगवान के दर्शन होते हैं।
शिक्षक ही हमें बताते हैं कि किस रास्ते पर चलकर आपको मंजिल मिलेगी। आपके शिक्षक कोई भी हो सकते हैं। आपके माता-पिता, आपके गुरु या आपका दोस्त भी अच्छा शिक्षक हो सकता है। हमें सबके अच्छे गुणों को ग्रहण करना चाहिए। सबकी अच्छी सीख को आत्मसात करना चाहिए। ऐसे गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करना हमारा कर्तव्य है। आपको एकलव्य की कहानी तो याद होगी। एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के कहने पर हाथ का अंगूठा काटकर उनके चरणों में समर्पित कर दिया था। इसके अलावा एक और कहानी आपने सुनी होगी। उसमें एक मूर्तिकार जब भी अपनी मूर्ति को अपने गुरु को दिखाता है तो वह उसको और अच्छा करने को कहता है। एक समय बाद वह मूर्तिकार हताश होकर जब गलत कदम उठाने वाला होता है तो गुरु उसे समझाते हैं और दिखात हैं कि वह अब कितना अच्छा मूर्तिकार बन चुका है। उनके कई बार कहने के बाद उसके काम में सुधार होता है। इसी प्रकार याद रखिए कि अगर आपके गुरु या माता-पिता आपको किसी काम के लिए कहते हैं तो यह आपकी भलाई के लिए ही है। इससे आपका हुनर निखरेगा ही। इसीलिए जिसे भी अपना गुरु मानें, उसकी सभी बातें माननी चाहिए। वे आपकी भलाई के लिए ही होंगी। इसी के साथ मैं अपने उन गुरुओं को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं, जिन्होंने मुझे आज अच्छा इंसान बनाया। मैं जिंदगी भर उनका कृतज्ञ रहूंगा।
Updated on:
04 Sept 2018 05:00 pm
Published on:
03 Sept 2018 02:51 pm
बड़ी खबरें
View Allनोएडा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
