सौरभ शर्मा, नोएडा। वेस्ट यूपी या प्रस्तावित हरित प्रदेश को कुछ लोग जाटलैंड या गुर्जरलैंड कहते हैं। ये कहना भी गलत नहीं है। अगर बात आंकड़ों की करें तो गुर्जर और जाट दोनों ही बाकी हिंदु समुदायों की आबादी से ज्यादा हैं भी। लेकिन क्या आज तक किसी ने राजपूतों की बात की है? जानकारों की मानें तो राजपूतों की आबादी वेस्ट यूपी में गुर्जर और जाट आबादी से कहीं ज्यादा है। अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बात करें तो उसमें राजपूत गुर्जर और जाट समुदायों से ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस तरह से वेस्ट यूपी में राजपूत गुर्जर और जाटों को पछाड़ रहे हैं।
क्या है वेस्ट यूपी में समुदायों की स्थिति
अगर आबादी पर बात करें तो वेस्ट यूपी में मुस्लिम की आबादी लगभग 30 फीसदी है जो सर्वाधिक है। अब सबसे ज्यादा इन्हीं का वर्चस्व यूपी में है, इसके बाद दलित आते है जो लगभग 25 फीसदी हैं। बसपा के शासन में इन्हीं की चलती है। अहीर आबादी अपर दोआब में न के बराबर हैं जबकि मध्य दोआब से लेकर एटा, मैनपुरी और रूहेलखंड में बड़ी आबादी अहिर समुदाय की है। अहीर जनसंख्या वेस्ट यूपी में लगभग 7 फीसदी है। सपा शासनकाल में इन्हीं का दबदबा रहता है। जाट सहारनपुर को छोड़कर अपर दोआब और निचले दोआब में बड़ी संख्या में हैं। वहीं बिजनौर, अमरोहा को छोड़कर इनकी नाम मात्र की आबादी है। वेस्ट यूपी में जाट आबादी लगभग 6 फीसदी के करीब है। गुर्जर सिर्फ अपर दोआब में अच्छी संख्या में हैं। लोअर दोआब और बिजनौर, अमरोहा को छोड़कर इनकी आबादी काफी कम है। इस प्रकार गुर्जर आबादी वेस्ट यूपी में अधिकतम 4 फीसदी है।
राजपूत सबसे ज्यादा
राजपूतों की आबादी की बात करें तो पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में हैं। समस्या ये है कि अन्य समुदायों की तरह ये राजपूतभारी भरकम गुच्छों में एक जगह पर नहीं हैं। इसलिए अपने दम पर राजपूत अधिकतर जगह जीत पाने की स्थिति में नहीं हैं। फिर भी अपने कौशल और रणनीति से राजपूत समुदाय अपने आपको काफी हद तक समेटे हुए हैं। वेस्ट यूपी में राजपूत आबादी लगभग 8 फीसदी हैं। जबकि ईस्ट यूपी में राजपूत आबादी 10 फीसदी से भी ज्यादा है।
जाटों के मुकाबले राजपूत विधायकों की संख्या चार गुना
इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगर जातिगत आधार पर विधायको की बात करे तो कुल 15 राजपूत, 13 अहीर, 7 गुर्जर और सिर्फ 4 जाट विधायक हैं। जानकार कहते हैं कि जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 15 राजपूत विधायक हैं और 4 जाट विधायक हैं उसे जाटलैंड कहे जाने का खंडन अपने आप हो जाता है। जाटों का प्रभाव बागपत, शामली, मुजफरनगर, अमरोहा, आगरा, अलीगढ़, मथुरा और बिजनौर में अच्छा है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो अलीगढ़, आगरा, मथुरा, बिजनौर में राजपूत जाटों पर भारी हैं। गुर्जर सिर्फ एनसीआर के नोएडा, मेरठ, सहारनपुर, शामली में प्रभावी हैं। बाकि इनका कोई अस्तित्व नहीं है।
लोकसभा क्षेत्रवार राजपूत और प्रतिस्पर्धी जातियों के अनुमानित वोट
लोकसभा---------------------राजपूत------------जाट-----------------गूर्जर
सहारनपुर--------------------1.5 लाख----------20 हजार-------------1 लाख
कैराना-----------------------1 लाख----------००------------------1.5 लाख
मुजफ्फरनगर-----------------1.2 लाख---------- 1.8 लाख-----------60 हजार
बिजनोर---------------------50 हजार----------- 2.4 लाख-----------1.2 लाख
बागपत----------------------80 हजार----------- 3.6 लाख-----------80 हजार
मेरठ------------------------80 हजार------------80 हजार------------1 लाख
गाजियाबाद------------------1.8 लाख------------60 हजार-------------1 लाख
गौतमबुद्धनगर----------------3.50 लाख----------80 हजार--------------2 लाख
बुलंदशहर--------------------1.5 लाख----------1.8 लाख--------------30 हजार
अलीगढ----------------------2 लाख----------- 1.2 लाख
मथुरा-----------------------2.5 लाख-----------3.2 लाख-------------30 हजार
हाथरस-----------------------2 लाख------------2 लाख
फतेहपुर सिकरी---------------2.8 लाख------------2 लाख
आगरा-----------------------2 लाख
नगीना----------------------2 लाख,
अमरोहा---------------------1.5 लाख------------1.8 लाख------------50 हजार
मुरादाबाद--------------------2 लाख--------------60 हजार
तो इसलिए भी राजपूतों का वर्चस्व
राज्यसभा सांसद संजय सिंह के अनुसार राजपूत वेस्ट यूूपी में वो अदृश्य ताकत है जो बंटी हुई है। जिनका एक होना काफी जरूरी है। अन्य समुदायों में इनकी संख्या काफी ज्यादा है। वहीं राजनीतिक दृष्टीकोण से बात करें तो वर्तमान में गाजियाबाद और मुरादाबाद से सांसद राजपूत समुदाय से बिलांग करते हैं। अगर इस क्षेत्र में ही विभिन्न जातियों के जातिगत आधार पर विधायकों की बात करें तो जाट विधायक सिर्फ 4 हैं। जबकि राजपूत विधायकों की संख्या 15 हैं। गूर्जर विधायक 7 हैं। ऐसे में इस पूरे क्षेत्र को जाट और गुर्जर लैंड कहने की जगह राजपूत लैंड कहना ज्यादा बेहतर है।