
नोएडा। पूरे उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। इसको लेकर लखनऊ में अमीनाबाद में विद्युत कर्मचारी मोर्चा संगठन की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि 28 मार्च यानी बुधवार को शक्ति भवन में एक दिन का धरना प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं, गाजियाबाद में निजीकरण के विरोध में अभियंताओं और कर्मियों ने प्रदेशव्यापी आह्वान पर काम का बहिष्कार करते हुए राजनगर आरडीसी स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय पर प्रदर्शन किया।
लखनऊ में हुई बैठक
लखनऊ में हुई बैठक में विद्युत कर्मचारी मोर्चा संगठन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अवस्थी ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में अधिकारियों ने कार्यालयों में ताला बंद कर दिया। इसके बाद वहां काम करे कर्मचारियों को जबरदस्ती कार्य बहिष्कार में लगाया गया। उन्होंने कहा कि संगठन की मांग है कि निजीकरण को रोकने के साथ ही पुरानी पेंशन योजना को भी बहाल किया जाए। उन्होंने कहा कि संगठन किसी को जबरन आंदोलन में नहीं भेजेगा। अभियंताओं के वर्चस्व के कारण ही बिजली चोरी अधिक होती है। इस दौरान वहां छोटेलाल दीक्षित, गोपाल कृष्ण गौतम, मोहन जी श्रीवास्तव, सरजू त्रिवेदी, आलोक कपूर, मनोज भारद्वाज, मो. अरशद, ओपी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
गाजियाबाद में हुआ प्रदर्शन
उधर, गाजियाबाद में हुए प्रदर्शन में संघर्ष समिति के संयोजक प्रभात सिंह ने बताया कि कानपुर व आगरा के फ्रेन्चाईजी का निर्णय एक साथ मई 2009 में किया गया था। बिजली कर्मचारियों के विरोध के चलते कानपुर में निजी हाथों में इसे नहीं सौंपी गई, जबकि आगरा की बिजली व्यवस्था 1 अप्रैल 2010 को टोरेंट को सौंप दी गई। आज हालत ये है कि टारेंट कंपनी आगरा में पावर कॉरपोरेशन से बिजली खरीद रही है और विभाग को 3.25 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान कर रही है। जबकि कानपुर में बिजली विभाग को 6.25 के हिसाब से राजस्व मिल रहा है। आगरा की तरह से प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी निजीकरण किया जा रहा है। वहीं दूसरे क्षेत्रों की व्यवस्था को भी सरकार बद से बदतर बनाने पर अमादा है।

Published on:
27 Mar 2018 03:30 pm
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