यह कार्यकाल पूरा होने में अभी डेढ़ साल का समय बचा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक साथ चुनाव होने पर ही नए जिलों में जिला परिषद बन सकेगी। अभी नए जिलों में एसीईओ कार्यरत हैं। जो सीधे तौर पर सीईओ जिला परिषद के मातहत हैं और उन्हें बैठकों में शामिल होने के लिए अलवर ही आना पड़ रहा है।
शिक्षा का ढांचा भी अधूरा
नए जिलों में शिक्षा का ढांचा भी अधूरा है। इन जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी तो लगा दिए, लेकिन मुय जिला शिक्षा अधिकारी, डाइट और समसा अलवर से ही संचालित हो रहे हैं। इसी तरह तीनों जिलों के बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन अलवर के जिला रोजगार कार्यालय में हो रहा है।जिला प्रमुख जता चुके हैं नाराजगी
साधारण सभा की बैठक अलवर में ही होती है। इसमें तीनों जिलों के पार्षद शामिल होते हैं। लेकिन कई बार अधिकारी बैठकों में नहीं पहुंच पाते हैं। इसे लेकर जिला प्रमुख और पार्षद नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। कई बार तो नोटिस देने तक की चेतावनी दी जा चुकी है।अलवर जिले में रह जाएंगे 26 पार्षद
जिला परिषद अलवर में जिला पार्षदों की संया 49 है। इसमें कोटपूतली-बहरोड़ में 12 व खैरथल-तिजारा में 11 पार्षद जाएंगे। ऐसे में अलवर के हिस्से में 26 ही आएंगे। नए जिलों का जो सीमांकन हुआ है उसके आधार पर जिला पार्षद भी अपने-अपने क्षेत्रों में रहेंगे। हालांकि जिला परिषद का पुनर्गठन होगा तो तीनों जिलों में ही पार्षदों की संया में इजाफा होगा।यह भी पढ़ें:
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