वर्तमान समय में महात्मा गांधी के विचारों की वर्तमान में जबर्दस्त प्रासंगिकता है, लेकिन उनके विचारों को मन व सत्यता से अपनाना होगा। मुश्किल यह है कि हम गांधी के विचारों को दिखावे के लिए ही अपनाते हैं।
-डॉ. कंवराज सुथार, उदयपुर
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महात्मा गांधी ने अच्छा जीवन जीने के लिए 11 व्रत अपनाने पर जोर दिया था। आज के वर्तमान संदर्भ में ये सभी व्रत प्रासंगिक हैं। अंतिम संकल्प शारीरिक श्रम का था। बापू ने इस पर काफी जोर दिया था। आधुनिकता के दौर मे भी गांधी का रास्ता अपनाने के अलावा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। पर्यावरण से लेकर अर्थशास्त्र तक सभी क्षेत्रों में गांधीजी के विचार हर कसौटी पर खरे हैं और जीवन और समाज को सही राह पर दिखाने वाले हैं ।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया छत्तीसगढ़
महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक और अनुकरणीय हैं जितने अपने वक्त मे थे। गांधीजी ने जीवन के हर क्षेत्र के लिए सूत्र दिए थे। आज का युवा पश्चिमी प्रभावों से संचालित होता है। ऐसी परिस्थितियों मे गांधीजी के विचारों की ज्यादा जरूरत इन्हीं को है। गांधीजी युवाओं से रचनात्मक सहयोग चाहते थे, जो उस समय के युवाओं ने बखूबी दिया। वे देश को आजादी दिलाने में कामयाब हुए। गाांधीजी के विचार-सिद्धांत सर्वकालिक हैं, वे हर दौर मे प्रभावशाली रहेंगे।
-नरेश कानूनगो, बेंगलुरु
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अब भी देश में कई सारी बुराइयां व्याप्त हैं, जैसे महिलाओं का शोषण, गरीबी, बेरोजगारी आदि। गांधीजी के विचारों पर चलकर हम इन पर काबू पा सकते हैं। भारत सफलता की बुलंदियों को छुए, कोई भी दुराचार न हो और हर एक इंसान को बराबरी का हक मिले। इसके लिए गांधी के रास्ते पर चलना ही होगा।
-अंकित पीपलवा, जयपुर
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जो लोग महात्मा गांधी के विचारों को नहीं समझते वे अहिंसा और सत्याग्रह का मजाक तक उड़ाते हैं। गांधीजी के विचारों को समझना होगा। परिवार और समाज को गांधीजी के विचारों को अपनाना होगा। शुरुआत खुद से करनी होगी। अराजकता के इस माहौल में गांधी की अहिंसा और परहित की नीति ही एकमात्र उपाय दीखता है।
-हरकेश दुलावा, दौसा
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आजादी के इतने दशकों बाद भी देश के सामने लगभग वही समस्याएं हैं और उनके समाधान भी कमोबेश वही हैं, जिनकी बात गांधीजी किया करते थे। जिस ‘आत्मनिर्भर भारतÓ का विचार, कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री ने रखा, उस आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की अवधारणा ‘ग्राम स्वराजÓ के द्वारा गांधीजी ने दशकों पूर्व ही रख दी थी। बापू द्वारा परिकल्पित ‘ग्राम स्वराजÓ मनुष्य केंद्रित एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सत्ता और अर्थ दोनों का विकेंद्रीकरण होता है। दलितों के उत्थान की बात गांधीजी अपनी पत्रिका ‘हरिजनÓ में नियमित रूप से करते थे। ‘स्वच्छ भारतÓ का सपना गांधीजी ने ही संजोया था।
-हेमन्त छीपा, उदयपुर
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महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। सत्य और अहिंसा के विचार तो लोगों का जीवन बदल सकते हैं। उनके विचारों को अपना कर मनुष्य पशुता को त्यागकर देवत्व के गुणों से युक्त हो सकता है
-डॉ. पवन बुनकर, आमेर, जयपुर
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सत्य, अहिंसा, स्वदेशी आंदोलन, नारी संबल, कृषि प्रधान अर्थ तंत्र जैसे गांधीजी के विचार आज भी समीचीन हैं। गांधी के विचार कालजयी हैं। उनके बताए रास्ते पर चलने वाले राष्ट्र सफलता का शिखर छू सकते हैं।
-पवन कुमार दाधीच, फतेहपुर शेखावाटी
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यदि आप महात्मा गांधी को कोस कर भी इस देश में शान से रह सकते हैं, तो इसकी वजह यह है कि यहां गांधी के विचारों का प्रभाव अब भी है। गांधी के विचारों का प्रभाव हमारे संविधान में भी स्पष्ट देखा जाता है। इसी वजह से भारत की सहिष्णुता का उदाहरण विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलता। आज के परिप्रेक्ष्य में भी गांधी प्रासंगिक हैं।
-सुशील चौधरी, जोधपुर
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साम्प्रदायिक कट्टरता और आतंकवाद के वर्तमान दौर में गांधीजी और उनकी विचारधारा की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। उनके सिद्धान्तों के अनुसार साम्प्रदायिक सद्भावना कायम करने के लिए सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर चलना जरूरी है। गांधीजी के योगदान को तभी ठीक ढंग से समझा जा सकता है, जब हम उनके मानव प्रेम व सत्य को जान-पहचान लेंगे, उनकी अहिंसा भावना से आत्म साक्षात्कार कर लेंगे।
-अशोक कुमार शर्मा झोटवाड़ा, जयपुर
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महात्मा गांधी ने हमेशा पूंजीवादी विचारधारा का विरोध किया। उनका मानना था कि देश की अर्थ व्यवस्था कुछ पूंजीपतियों के पास गिरवी नहीं होनी चाहिए। उनकी अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु गांव थे। उनके अनुसार जब तक गांव में ही रोजगार नहीं मिलता तब तक उनमें असन्तोष रहेगा। ग्रामीण बेरोजगारों का शहर की ओर पलायन भारत की ज्वलंत समस्या है। इस समस्या का निराकरण सिर्फ कुटीर उद्योग लगाकर ही किया जा सकता है। गांधी जी युवाओं को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा औजार मानते थे। वे हमेशा चाहते थे कि सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के विरुद्ध युवा आवाज उठाएं।
-गोपाल अरोड़ा, जोधपुर
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इस भौतिक और संवेदनहीन युग में जीवन जटिल होता जा रहा है। ऐसे दौर में महात्मा गांधी के विचार हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन देते हैं। आज भी सत्य, अहिंसा, प्रेम, सहनशीलता ओर निडरता के मार्ग पर अडिग रहकर स्वयं और समाज का कल्याण कर सकते हैं ।
-ऋचा राजगुरु, इंदौर
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आज देश में प्रचलित ‘आत्मनिर्भरताÓ का नारा गांधीजी का ही दिया गया है। गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। आज विश्व के लिए खतरा बने प्लास्टिक की जगह बापू के शस्त्र खादी को बढ़ावा देने की जरूरत है। विश्व शांति के लिए गांधीजी के विचार पूर्णरूप से प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण हंै।
-दीप्ति जैन, उदयपुर
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हर मामले में महात्मा गांधी का दृष्टिकोण व्यावहारिक और मानवतावादी रहा है। इसलिए वर्तमान में भी महात्मा गांधी के विचार प्रासंगिक हैं। भूल किसी से भी हो सकती है, परंतु गांधी-नेहरू को खलनायक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास उचित नहीं कहा जा सकता। तत्कालीन परिस्थितियों में किए गए निर्णय को उसी संदर्भ में न देखकर अपने-अपने चश्मे लगाकर देखा जा रहा है। यह चिंताजनक है।
-राघवेंद्र दुबे, इंदौर
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वैश्विक स्तर पर व्याप्त हिंसा, सांप्रदायिक कट्टरता, आतंकवाद और मतभेद जैसे हालात में गांधीजी के सिद्धांतों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। बारुद के ढेर पर खड़ी दुनिया के लिए गांधी दर्शन को आत्मसात करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। हम विकास के पथ पर कितने ही अग्रसर क्यों न हों, गांधीजी के सिद्धांतों को नकारना असंभव है। आज सांप्रदायिक सद्भावना की आवश्यकता ज्यादा है।
नरेश चन्द्र पारीक, सांचोर
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महात्मा गांधी का दर्शन न केवल प्रासंगिक है, अपितु वर्तमान की कई समस्याओं का समाधान भी है। गांधी के सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह और नैतिकता के सिद्धांत तो हमेशा ही उपयोगी रहेंगे। साथ ही ट्रस्टीशिप सिद्धांत, श्रम के प्रति सम्मान, आवश्यकता के अनुसार सीमित उपभोग तथा प्रकृति के प्रति श्रद्धा के विचार भी आधुनिक विश्च एवं समावेशी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
-डॉ. सीमा अग्रवाल,जयपुर
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महात्मा गांधी ने हमेशा सत्य और अहिंसा पर जोर दिया। ये दोनों ऐसे मार्ग हैं जिस पर चल कर हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। इसका तात्पर्य यह नहीं कि हम जुल्म सहन करते जाएं। आज पाकिस्तान और चीन के हमलों का जवाब हमें देना होगा। अगर हम चुप रहे, तो ये देश अपनी मनमानी पर उतर आएंगे। अहिंसा का अर्थ ये कदापि नहीं कि हम उनकी गलत हरकतों को बर्दाश्त करलें।
-अंजु जैन, श्रीगंगानगर
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महात्मा गांधी, जिन्हें हम प्यार से बापू कहते हैं, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेताओं में से हैं। वे केवल एक देश के ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवजाति के प्रेरणा स्रोत हैं। बापू ने कहा था कि जिस दिन से एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चलने लगेगी, उस दिन से हम कह सकते हैं की भारत ने स्वतंत्रता हासिल कर ली है। बापू का ये सपना आज तक पूरा नहीं हो पाया है।
-सुमित कल्याण, झुन्झुनू