22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आपकी बात, क्या स्थानीय निकायों की नाकामी के कारण श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

2 min read
Google source verification

image

Gyan Chand Patni

Sep 18, 2023

आपकी बात, क्या स्थानीय निकायों की नाकामी के कारण श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं?

आपकी बात, क्या स्थानीय निकायों की नाकामी के कारण श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं?

लापरवाही और उदासीनता

स्थानीय निकायों को श्वानों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए श्वान उन्मूलन अभियान चलाना चाहिए। मुश्किल यह है कि स्थानीय निकाय इस कार्य में जानबूझकर लापरवाही और उदासीनता बरत रहे हैं। इसी कारण आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही हैं और वे आक्रामक भी हो रहे हैं।

-ओमप्रकाश श्रीवास्तव, रायसेन, मध्यप्रदेश

............

बधियाकरण पर दिया जाए ध्यान

स्थानीय निकायों में पार्षदों की भूमिका प्रत्येक वार्ड में निष्क्रिय होने के कारण श्वानों का बधियाकरण का कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा। प्राय: देखा जाता है कि शासकीय चिकित्सालय में इलाज के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं होती। इसलिए बधियाकरण के कार्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

-गिरीश ठक्कर, राजनंदगांव

.................

संसाधनों का अभाव

श्वाानों के बढ़ते हमलों का मुख्य कारण स्थानीय निकायों के अधिकारियों की उदासीनता और संसाधनों का अभाव है। अधिकारी श्वानों को पकडऩे के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। बजट का अधिकांश भाग तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, फिर संसाधन कहां से आएंगे।

-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर

...........

बच्चों पर हो रहे हैं हमले

स्थानीय निकायों की नाकामी से श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं। श्वानों के काटने की घटनाएं चिंतित करती हैं। गली-मोहल्लों में श्वानों के समूह घूमते रहते हैं। बच्चों पर हमले की घटनाएं जयपुर में भी हो चुकी हैं, मगर नगर निगम उन्हें पकडऩे की कोई योजना ही नहीं बनाता।

-शिवजी लाल मीना, जयपुर

.......

जिम्मेदारी निभाए स्थानीय निकाय

गांवों-शहरों में श्वानों के झुंड राहगीरों पर हमले कर रहे हैं। दुपहिया वाहनों के पीछे दौड़ कर चालकों को भयभीत कर उन्हें असंतुलित करते हैं और उन्हें गिरा देते हैं, कभी-कभी काट भी लेते हैं। स्थानीय निकाय के कर्मचारी भी वहां से गुजरते हैं, देखते हैं लेकिन समस्या को नजरंदाज करते हैं। स्थानीय निकायों को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

-मुकेश भटनागर, भिलाई

........

अनदेखी का परिणाम

स्थानीय निकायों की अनदेखी के कारण ही श्वानों के हमले बढ़ रहे हैं। श्वानों के झुण्ड सड़कों पर घूमते रहते हैं और अचानक से राहगीरों पर हमला कर देते हैं। स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है कि वे इनको पकड़े, ताकि आए दिन होने वाले हादसों से बचा जा सके।

-लता अग्रवाल चित्तौडग़ढ़

..........

अभियान की जरूरत

कई स्थानों पर छोटे बच्चों पर श्वानों के हमले तेजी से बढ़े हैं। स्थानीय निकाय श्वानों की नसबंदी एवं धरपकड़ अभियान पर ध्यान नहीं देते। जनता की शिकायतों पर भी उदासीनता बरती जाती है।

-विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश

........

टीकाकरण पर ध्यान नहीं

स्थानीय निकायों की नाकामी के कारण श्वानों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। न तो इन्हें पकडऩे की व्यवस्था है, न ही कोई टीकाकरण पर ध्यान दिया जा रहा। -राज कुमार तिवाड़ी, जयपुर