Climate change : जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आइपीसीसी) सोमवार को अपनी छठी रिपोर्ट का पहला भाग जारी करेगा। जानना जरूरी है कि इसकी पिछली पांच रिपोर्टों ने वैश्विक निर्णयों को आकार देने में क्या भूमिका निभाई और आने वाली रिपोर्ट में क्या हो सकता है? पिछले कुछ सप्ताहों में देखा गया है कि यूरोप और चीन को अप्रत्याशित बाढ़ का सामना करना पड़ा, अमरीका में भीषण गर्मी के चलते हालात विकट हो गए। साइबेरिया, तुर्की व ग्रीस के जंगल जानलेवा आग की चपेट में आ गए। इससे भारी नुकसान हुआ। रिपोर्ट के पहले भाग में वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग की इन सारी घटनाओं के मद्देनजर पृथ्वी की जलवायु Climate पर सर्वाधिक व्यापक हेल्थ चेक के तथ्य प्रस्तुत करेंगे। जलवायु कैसे और क्यों बदल रही है और मानव के क्रियाकलापों का इस पर क्या असर पड़ता है? इस संबंध में दूसरी और तीसरी रिपोर्ट अगले साल जारी होने की संभावना है। इनमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डाला जाएगा और दुष्प्रभावों से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर फोकस किया जाएगा।
जलवायु जायजा रिपोर्ट -
आइपीसीसी इससे पहले पांच रिपोर्ट जारी कर चुका है। इनके आधार पर दुनिया की विभिन्न सरकारें बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही हैं। 2007 में आई चौथी आइपीसीसी रिपोर्ट को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। 1990 में आई पहली रिपोर्ट और उसके बाद की सभी रिपोर्टों में इसी बात पर जोर दिया गया है कि मानव गतिविधियों के कारण 1950 के बाद से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। अगर यह तापमान 19वीं सदी के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस भी अधिक हुआ तो पृथ्वी पर रहना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही आशंका जताई है कि सन् 2100 तक पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ेगा।
नई रिपोर्ट में नया क्या?
क्षेत्रीय फोकस-छठी रिपोर्ट में क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन विषय पर अधिक फोकस रहेगा। यानी बंगाल की खाड़ी तक में समुद्री स्तर की ऊंचाई पर बल दिया जाएगा न कि केवल विश्व के औसत समुद्री स्तर की बात की जाएगी। वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन के कारणों पर फोकस करेंगे। ज्यादा आबादी वाले शहर जलवायु परिवर्तन की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। इन शहरों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयासों को लागू किए जाने पर बल दिया जाएगा। यह रिपोर्ट के दूसरे हिस्से में बताया जाएगा।
Published on:
09 Aug 2021 08:57 am