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संपादकीय: ट्रंप की नीतियों ने भड़काई अराजकता की आग

डिपोर्टेशन पॉलिसी के तहत अवैध तौर पर रह रहे प्रवासियों को पकड़-पकड़ कर अमरीका से खदेड़ा जा रहा है। पिछले दिनों लॉस एंजिल्स में चलाए गए छापेमारी के विशेष अभियान के बाद से ही वहां हिंसा की आग सुलग उठी है।

जयपुरJun 11, 2025 / 02:02 pm

Hari Om Panjwani

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद अब वहां अवैध प्रवासियों का मुद्दा खड़ा हो गया है। इनके खिलाफ छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में अमरीका का लॉस एंजिल्स इन दिनों धधक रहा है। आगजनी, उपद्रव व दंगों की आंच न्यूयार्क तक जा पहुंची है। पिछले चार दिन से अमरीका में हिंसक प्रदर्शन, तोडफ़ोड़ व आगजनी के बीच पुलिस विद्रोहियों को रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है।
लॉस एंजिल्स में तो हालात पर काबू पाने के लिए गवर्नर की अनुमति के बिना नेशनल गाड्र्स तैनात करने से विवाद और बढ़ गया है। किसी राज्य में नेशनल गाड्र्स की नियुक्ति के अधिकार को लेकर ट्रंप पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई के बीच ट्रंप के बयान आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।
डिपोर्टेशन पॉलिसी के तहत अवैध तौर पर रह रहे प्रवासियों को पकड़-पकड़ कर अमरीका से खदेड़ा जा रहा है। पिछले दिनों लॉस एंजिल्स में चलाए गए छापेमारी के विशेष अभियान के बाद से ही वहां हिंसा की आग सुलग उठी है। इस हिंसा से आक्रोशित डॉनल्ड ट्रंप ने मास्क में दिखने वाले प्रदर्शनकारियों को तत्काल गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि लॉस एंजिल्स में अवैध प्रवासियों का कब्जा हो गया है और इन्हें जल्द से जल्द खदेड़ा जाएगा। जाहिर है, अमरीका में हालात अराजकता जैसे बन गए हैं।
यह बात सही है कि हर देश को अपनी नीतियां तय करने का अधिकार होता है। अमरीकी राष्ट्रपति भी ऐसा ही कर रहे हैं, लेकिन उनकी नीतियों को लेकर असहमति और नाराजगी के स्वर जिस तरह से उठने लगे हैं, उससे साफ लगता है कि पहले टैरिफ नीति और अब अवैध प्रवासियों के मुद्दे से निपटने में ट्रंप प्रशासन की कहीं न कहीं कमजोरी रही है। दरअसल, अवैध प्रवासियों से निपटनेे में अमरीका का रुख ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से ही विवादित रहा। एक बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में अमरीका ने इस मुद्दे को संभालने के लिए लगभग तानाशाहीपूर्ण रवैया ही अख्तियार किया। दुनिया के कई देशों के साथ भारत तक को इससे प्रभावित होना पड़ा।
अमरीका में प्रवासी भारतीयों को यातनाएं देते हुए बंधक बनाकर अमानवीय तरीके से अमरीका से बेदखल किया गया था। अमरीका का ऐसा ही रवैया अन्य देशों के प्रति भी रहा। ताजा प्रसंग में तो ट्रंप ने विरोध प्रदर्शन का दोष अपने दो राज्यों कैलिफोर्निया और लॉस एंजिल्स के गर्वनर और मेयर पर मढ़ दिया।
इसमें कोई संदेह नहीं कि अमरीका की नीतियों का दुनिया के तमाम देशों पर किसी न किसी रूप में प्रभाव पड़ता है। लेकिन ट्रंप प्रशासन को यह याद रखना होगा कि आग की आंच खुद पर आते भी देर नहीं लगती। ताजा विरोध प्रदर्शन में तो अमरीका के नागरिक ही एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं। इन नीतियों का अंजाम कुछ भी हो, नुकसान अमरीका का होगा ही।

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