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बाढ़ प्रबंधन: सामुदायिक एकता, जागरूकता व सतर्कता की है खास जरूरत

बाढ़ से पहले, बाढ़ के दौरान, और बाढ़ के बाद उठाए गए कदमों से न केवल जन और धन की हानि को कम किया जा सकता है, बल्कि समाज को अधिक सशक्त और सतर्क बनाया जा सकता है। सामुदायिक एकता, जागरूकता और सतर्कता से हम बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं। जलभराव क्षेत्रों परं विशेष ध्यान देकर इन आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।

जयपुरAug 06, 2024 / 10:05 pm

Gyan Chand Patni

डॉ. रिपुन्जय सिंह सदस्य ,राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग, आपदा प्रबंधन के पूर्व राज्य कोऑर्डिनेटर
बा ढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो मानव जीवन, संपत्ति और आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर डालती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। बाढ़ प्रबंधन के कुछ प्रमुख चरण होते हैं-बाढ़ से पहले के उपाय, बाढ़ के दौरान के उपाय और बाढ़ के बाद के उपाय। बाढ़ से पहले शहरों में प्रभावी जल निकासी प्रणाली का निर्माण और सुधार किया जाना चाहिए। नियमित रूप से नालों, नदियों और जल निकासी चैनलों की सफाई और मरम्मत सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जल संचयन प्रणाली का निर्माण कर पानी को संग्रहित किया जा सकता है। तकनीकों का उपयोग कर बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना करनी चाहिए। जलभराव को रोकने के लिए प्रभावी शहरी योजना और निर्माण नियम लागू किए जाने चाहिए। अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए।
नागरिकों कों बाढ़ प्रबंधन की आवश्यक जानकारी होनी चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि बाढ़ के दौरान और बाद में क्या-क्या कदम उठाने चाहिए। सभी लोगों को काम आने वाली आवश्यक वस्तुओं जैसे खाद्य सामग्री, दवाइयाँ, पानी, टॉर्च, और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए आपातकालीन किट तैयार करनी चाहिए। सुरक्षित स्थानों की पहचान करनी चाहिए। बाढ़ के दौरान राहत एवं बचाव कार्य करने के लिए विशेष टीमों का गठन करना चाहिए। नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और अन्य बचाव दलों को सक्रिय करना चाहिए। प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए। अस्थायी शिविरों, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। बाढ़ के दौरान प्रभावी संचार व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए ताकि सही जानकारी नागरिकों तक पहुंच सके। नागरिकों को सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए।
बाढ़ के बाद सरकार को प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। सरकार को ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए जिससे प्रभावित लोग अपने सामान्य जीवन में वापस लौट सकें। स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। स्वच्छ पानी, दवाइयां और चिकित्सा सेवाओं की पहुंच को प्राथमिकता देनी चाहिए। बाढ़ से हुए नुकसान के लिए प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। घरों की मरम्मत, फसलों और संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए अनुदान और ऋण की व्यवस्था करनी चाहिए। अवसंरचना का पुनर्निर्माण करना जैसे सड़कों, पुलों और जल निकासी प्रणालियों का पुनर्निर्माण और सुधार करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
नागरिकों को स्वास्थ्य और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दूषित पानी और गंदगी से बचने के लिए स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। प्रभावित समुदायों की सहायता करने के लिए आपस में सहयोग करना चाहिए। सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर पुनर्निर्माण के कार्यों में भाग लेना चाहिए अपने घरों और समुदाय के पुनर्निर्माण में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाकर जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करनी चाहिए। जलभराव और बाढ़ जैसी आपदाओं का प्रभावी प्रबंधन एक समग्र और सतत प्रक्रिया है। इसमें सरकार और नागरिक दोनों की समान भागीदारी आवश्यक है। बाढ़ से पहले, बाढ़ के दौरान, और बाढ़ के बाद उठाए गए कदमों से न केवल जन और धन की हानि को कम किया जा सकता है, बल्कि समाज को अधिक सशक्त और सतर्क बनाया जा सकता है। सामुदायिक एकता, जागरूकता और सतर्कता से हम बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं। जलभराव क्षेत्रों परं विशेष ध्यान देकर इन आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।

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