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पाकिस्तानी मनमानी

कश्मीर समस्या को पाकिस्तान ज्यादा से ज्यादा उलझा देना चाहता है, ऐसी किसी भी साजिश का भारत को पुरजोर विरोध करना ही चाहिए।

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Sunil Sharma

May 29, 2018

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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीरी इलाकों में राजनीतिक-प्रशासनिक बदलाव की पाकिस्तानी कोशिश जितनी निंदनीय है, उतनी ही प्रशंसनीय है भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के ताजा कदमों की निंदा। हम कश्मीर के पाकिस्तानी कब्जे वाले इलाकों- विशेष रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान में नकारात्मक परिवर्तनों को चुपचाप नहीं देख सकते। भारतीय संसद में पारित प्रस्ताव के अनुसार, पूरे कश्मीर का भारत में विलय किया जाना है।

भारत इसके लिए अपनी नीति के तहत बल प्रयोग करना नहीं चाहता, लेकिन उसे कश्मीर के बचाव का पूरा कूटनीतिक-राजनीतिक हक है। दरअसल, पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में चीन के निहित स्वार्थ हावी होने लगे हैं। यह जमीनी हकीकत है कि कश्मीर के करीब १९ प्रतिशत हिस्से पर चीन कब्जा किए बैठा है और इसे अपना क्षेत्र बताता है। कश्मीर के बाकी इलाकों में भी चीन की सक्रियता सोची-समझी साजिश के तहत ही है। चीन चाहता है कि खासकर गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र विधिवत रूप से पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बन जाए। गिलगित-बाल्टिस्तान पांचवां प्रांत जब बन जाएगा, तब वहां वही होगा, जो इस्लामाबाद की सरकार चाहेगी।

पाकिस्तान की यह कूटनीतिक बेईमानी कश्मीर के भारत विरोधी अलगाववादी नेताओं को भी दिखनी चाहिए- एक तरफ पाकिस्तान कश्मीरियों की आजादी की कथित लड़ाई में पूरी मदद करने का शोर करता है, तो दूसरी ओर, वह कश्मीरी इलाकों को अपना विधिवत राज्य बनाने की दिशा में बढ़ रहा है? यह विरोधाभास कश्मीरियों की समझ में आना ज्यादा जरूरी है। इतिहास गवाह है, पाकिस्तानी फौज ने कश्मीर पर हमला किया था और कश्मीर को समस्या बनाया था। अब आगे कश्मीर समस्या को और जटिल बनाने की किसी भी साजिश का भारत को पुरजोर विरोध करना ही होगा।

पाकिस्तान अच्छी तरह जानता है- उसका कब्जा जायज नहीं, इसलिए वह अपने कब्जे वाले कश्मीरी इलाकों को बुरी तरह से उलझा देना चाहता है। पाक अधिकृत क्षेत्रों में दमन और पिछड़ापन दुनिया से छिपा नहीं है, अत: यह आश्चर्य की बात नहीं कि पाकिस्तान सरकार के नए आदेश के बाद इन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। अब यह और जरूरी है कि भारत सरकार कश्मीर के मामले पर किसी भी तरह से बचाव की मुद्रा में न दिखे, ढीली या उदार न दिखे। देशवासी यही चाहते हैं कि भारत सरकार संसद के कश्मीर सम्बंधी संकल्प के मुताबिक कश्मीर के लिए कूटनीतिक-प्रशासनिक-राजनीतिक रूप से लगातार सजग व सक्रिय रहे।