लोगबाग न जाने क्यों बेचारी भारत माता के पीछे पड़े हैं। सच बात तो यह है कि आज भारत माता की हालत तो उस सात पुत्रों वाली मैया की तरह हो रही है जिसके सभी बेटे आपस में गालीगलौज और सिर फुटव्वल करने में जुटे हैं। बेचारी मां! करे भी तो क्या करें। समझ नहीं पाती कि किसको अच्छा, किसको बुरा कहे। उसके लिए तो सब बराबर। हाथों में दस अंगुलियां हैं किसी भी एक में चोट लगे तो बराबर का दर्द होता है।
इधर भारत माता रो-कलप रही है, उधर रिश्वत मम्मी खूब फलफूल रही है। बाप रे बाप! अब हम बड़े आराम से कह सकते हैं कि हमारे देश ने बहुत विकास किया है। एक जमाने में अगर कोई बाबू किसी से चाय भी पी लेता था तो उसकी गिनती रिश्वतियों में होने लग जाती थी। आजकल तो मुंह फाड़ कर रिश्वत मांगी जाती है। एक अदना-सा अफसर पन्द्रह-पन्द्रह लाख रुपए रिश्वत मांग लेता है और इतनी भारी रकम उसे मिल भी जाती है।
रिश्वत देवी के एक ही पुत्र नहीं कई कुपुत्र होते हैं। मान लीजिए एक मंझला अफसर रिश्वत मांगता है तो उसके हिसाब में नीचे से लेकर ऊपर वाले सभी शामिल होते हैं। वह बाकायदा हिसाब बता देता है कि तेरह लाख में से दो लाख नीचे वालों का, पांच लाख मेरा और छह लाख ऊपर वालों का है। ऊपर वाले में कौन-कौन शामिल हैं यह तो 'ऊपर वाला' ही जाने। पिछले दिनों का किस्सा बताएं। खान महकमे के सबसे आला जनाब ने अपने दलाल के माध्यम से ढाई करोड़ की रिश्वत ली। इस राशि में से दलालजी ने डेढ़ करोड़ अपने और नीचे वालों के लिए रखे और एक करोड़ आली जनाब को भिजवाए। आली जनाब ने यह एक करोड़ हवाला के माध्यम से अपने पास मंगवाए।
डेढ़ करोड़ में से तीस लाख दलाल ने नीचे वालों को दिए और एक करोड़ बीस लाख खुद गटक गया। कसम से रिश्वत का ऐसा वैज्ञानिक हिसाब देख कर अच्छे से अच्छे मुनीम जी तक को गश आ सकता है। उस दिन जब हमने पहली बार रिश्वतखोरों का यह हिसाब पढ़ा तो कसम से तीन दिन तक हमारी जुबान नहीं उपड़ी। ससुर सारी जिन्दगी रोते-पीटते दस-बीस लाख नहीं कमा पाए और यहां करोड़ों के वारे-न्यारे हो रहे थे।
हमारी तो अपने प्यारे भोलेभाले देशवासियों से यही गुजारिश है कि आप तो 'रिश्वत माता के सुपुत्रों' की जय बोलो। रिश्वतखोर बड़े मजे में इस गीत को अपना आदर्श गान बना सकते हैं- हमें ना इज्जत की चिंता और ना खबर किसी अपमान की, जय बोलो बेईमान की जय बोलो।
पिछले दिनों भाजपा के बजरंगी भाई साब अमित शाह ने ऐलान किया कि भारतीय जनता पार्टी पच्चीस बरस पंचायत से संसद तक पर काबिज रहेगी। हम उनसे कहते हैं शाह साब! पच्चीस साल की छोड़ो आप सौ साल राज कर सकते हो अगर गुर्दे में दम है तो इस देश को रिश्वत-मुक्त करके बता दो। अभी जो हाल चल रहा है उससे घूसखोरी नामक इस बीमारी से देश की किडनी फेल हो सकती है। तब क्या देश डायलेसिस पर चलेगा?
राही