
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ ने फिर हमारे तंत्र की लापरवाही को उजागर कर दिया है। स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर जब भगदड़ मची, वहां महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ थी। हादसे के बाद रेलवे ने जिस तरह चार विशेष ट्रेनें चलाकर भीड़ का दबाव कम किया, इसी तरह की व्यवस्था अगर पहले कर ली जाती तो भगदड़ टाली जा सकती थी। अफसोस की बात है कि महाकुंभ जैसे विराट आयोजन में भीड़ प्रबंधन में तंत्र की नाकामी कई मोर्चों पर सामने आ चुकी है। मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले मची भगदड़ के बाद भी भीड़ प्रबंधन की कोई कारगर व्यवस्था नहीं की गई। प्रयागराज और इसके आसपास के शहरों में ट्रैफिक जाम की खबरें पहले से संकेत दे रही थीं कि भीड़ को संभालना शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि हादसों से सबक लेने की परंपरा हमारे तंत्र में अब तक विकसित नहीं हुई है। स्टेशनों पर भगदड़ के कई हादसे पहले भी हो चुके हैं। महाकुंभ के दौरान वर्ष 2013 में प्रयागराज स्टेशन पर भगदड़ में 36 लोगों की जान गई थी। दिल्ली स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर वर्ष 2004 में भगदड़ में चार, जबकि मुंबई के एलफिंस्टन स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर वर्ष 2017 में भगदड़ से 22 लोगों की मौत हुई थी। हर हादसे के समय किए जाने वाले बड़े-बड़े दावों की पोल अगले हादसे से खुल जाती है। पिछले साल अक्टूबर में मुंबई के बांद्रा टर्मिनल स्टेशन पर भगदड़ के बाद रेलवे ने बड़े स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन सिस्टम लगाने की बात कही थी। दावा किया गया था कि सेंसर आधारित इस सिस्टम से पता चल जाएगा कि स्टेशन पर कब और कहां भीड़ को किस तरह नियंत्रित करना है। क्षमता से ज्यादा भीड़ होने पर अलर्ट जारी किया जा सकेगा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ ने स्पष्ट कर दिया कि बड़े स्टेशन अब तक इस सिस्टम से लैस नहीं किए गए हैं। सरकारी तंत्र भीड़ प्रबंधन में अपनी नाकामी यह कहकर नहीं छिपा सकता कि महाकुंभ के अमृत स्नान के मौकों पर ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमडऩे का अनुमान था और उसे लग रहा था कि आखिरी चरण में भीड़ कम हो जाएगी। महाकुंभ 10 दिन और चलेगा। फिलहाल प्रयागराज से जुड़े देश की सभी प्रमुख मार्गों पर भीड़ का आने-जाने का सिलसिला जारी है। इसे देखते हुए भीड़ प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। स्टेशनों में गैर-जरूरी लोगों के प्रवेश पर रोक के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित ट्रेन के यात्री ही प्लेटफॉर्म पर पहुंचें।
Updated on:
10 Mar 2025 09:51 pm
Published on:
16 Feb 2025 09:17 pm
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