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Patrika Opinion: महामारी से मुकाबले के ठोस उपायों की जरूरत

सतर्कता ज्यादा जरूरी है क्योंकि चिंता दोनों तरफ की है। एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों से निपटने की और दूसरी तरफ वायरस जनित संभावित महामारी के मुकाबले के लिए ठोस उपायों की।

जयपुरAug 08, 2024 / 10:13 pm

harish Parashar

समूची दुनिया ने कोरोना महामारी की भयावहता को नजदीक से देखा है। करोड़ों लोगों की मौत का कारण बनी इस महामारी के बाद किसी वायरस का जिक्र आते ही कोरोना का खौफ नजरों के सामने तैर जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही भारत में मिले निपाह वायरस समेत तीस ऐसे खतरनाक बैक्टीरिया व वायरस की पहचान की है जो फिर से दुनिया में किसी नई महामारी के हालात पैदा कर सकते हैं। कहा यह जा रहा है कि ये रोगाणु लोगों को तेजी से संक्रमित कर सकते हैं। चिंता यह भी कि इनमें से बहुत कम के लिए ही वैक्सीन उपलब्ध हैं।
यह बात सही है कि चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान के जरिए समय-समय पर संक्रामक रोगों के उपचार व इनकी रोकथाम के लिए काफी प्रयास हुए हैं। लेकिन यह चिंता इसलिए करनी चाहिए कि समय रहते रक्षात्मक उपाय नहीं किए गए तो खास तौर से भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देशों के लिए खतरा हो सकता है, खास तौर से ग्रामीण इलाकों में जहां चिकित्सा संस्थान व चिकित्सकों की कमी हमेशा बनी रहती है। कोरोना के दौर में भी इस समस्या से दो चार होना पड़ा था। वैज्ञानिकों की टीम ने दो साल तक १६५२ सूक्ष्म जीवों का विश्लेषण करने के बाद तीस को तो खतरनाक रोगाणुओं की श्रेणी में रखा है। ये ऐसे रोगाणु हैं जो चिकित्सा के क्षेत्र में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं। राहत की बात यह है कि वैज्ञानिक खतरनाक वायरस के तोड़ के रूप में वैक्सीन बनाने में भी जुटे हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक जैसे ठंडे इलाके चार गुना तेजी से गर्म हो रहे हैं जिसके कारण ऐसे रोगाणुओं के हर साल सामने आने की आशंका है जो आधुनिक प्रजातियों के लिए घातक सिद्ध होंगे। दुनिया ज्यों-ज्यों गर्म होती जा रही है, मच्छरों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। मच्छर अधिक ऊंचाई वाले इलाकों तक में फैलने लगे हैं। ऐसे में वहां भी मच्छरजनित बीमारियां पनपने लगी हैं। एक बड़ा खतरा किसी भी खतरनाक वायरस का जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने का भी है। कोरोना के दौर में भी इसी आशंका को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे।
दरअसल, बड़ी चिंता जलवायु परिवर्तन और तेजी से होते शहरीकरण की है। डब्ल्यूएचओ ने जिन तीस खतरनाक वायरसों की सूची जारी की है उनमें आधा दर्जन इंफ्लूएंजा-ए, डेंगू व मंकीपॉक्स फैलाने वाले नए वायरस हैं। सतर्कता ज्यादा जरूरी है क्योंकि चिंता दोनों तरफ की है। एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों से निपटने की और दूसरी तरफ वायरस जनित संभावित महामारी के मुकाबले के लिए ठोस उपायों की।

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