Pravah Bhuwanesh Jain column: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नवंबर में होने वाले राज्य चुनावों से साढ़े तीन महीने पहले मध्य प्रदेश की 39 और छत्तीसगढ़ की 21 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चौंका दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम पार्टी के लिए असामान्य रूप से जल्दी है। भाजपा की संभावित रणनीति पर केंद्रित 'पत्रिका' समूह के डिप्टी एडिटर भुवनेश जैन का यह विशेष कॉलम- प्रवाह
Pravah Bhuwanesh Jain column: भारतीय जनता पार्टी ने वाकई चौंका दिया। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए साठ प्रत्याशियों की पहली सूची चुनाव के करीब साढ़े तीन महीने पहले जारी करने का प्रयोग अनूठा है। ऐसा करके भाजपा ने चुनाव के लिए ताल ठोक दी है। हालांकि राजस्थान के लिए अभी यह कदम नहीं उठाया गया है। हाल ही में कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि इस बार पार्टी अपने प्रत्याशियों की सूची जल्दी जारी कर देगी, लेकिन इस मामले में भाजपा बाजी मार गई। मध्यप्रदेश के लिए जारी 39 और छत्तीसगढ़ के 21 प्रत्याशियों की सूची पर नजर डालें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि भाजपा इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहती है।
इन सूचियों में जिन सीटों के नाम हैं, उनमें से ज्यादातर सीटों पर पार्टी अपनी स्थिति कमजोर मानती रही हैं। इनमें से कइयों पर वह पिछला चुनाव हार गई थी। मंशा साफ है कि भाजपा इन सीटों पर अतिरिक्त मेहनत करना चाहती है। प्रत्याशियों को जन सम्पर्क के लिए ज्यादा समय देना चाहती है।
कांग्रेस की मजबूत स्थिति वाली इन सीटों के प्रत्याशी जल्दी घोषित करने का एक मकसद यह भी है कि दावेदारी को लेकर जो भी आंतरिक प्रतिस्पर्धा पैदा होनी थी, वह समाप्त हो जाए और कार्यकर्ता जोश के साथ प्रचार में जुट जाएं। मध्यप्रदेश में चौंकाने वाली बात यह भी रही कि शहला मसूद प्रकरण के चलते जिन ध्रुवनारायण सिंह का टिकट पिछली बार कट गया था, उन्हें इस बार मैदान में उतार दिया गया है। पांच पूर्व मंत्रियों को भी चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दे दी गई है।
छत्तीसगढ़ में भी कमोबेश यही स्थिति है। जिन 21 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई थी, उन पर भाजपा 2018 में चुनाव हार गई थी। उससे पहले 2013 में भी इनमें से बहुत कम सीटों पर उसे सफलता मिली थी। ज्यादातर सीटें ग्रामीण इलाकों की हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति प्राय: सुदृढ़ रहती है। यही कारण है कि इन सीटों से संबंधित ग्रामीण इलाकों में भाजपा से जुड़े विभिन्न संगठनों ने काफी समय से अपनी गतिविधियां चला रखी थीं।
छत्तीसगढ़ की सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम सांसद विजय बघेल का है, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सगे भतीजे हैं और 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हरा चुके हैं। उन्हें पिछली बार विधानसभा चुनाव लड़ाने की बजाय संसद में ले जाया गया। लेकिन अब पुन: विधानसभा चुनाव में उतारने के निर्णय से स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती है।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राज्य सरकारों की ओर से एक के बाद एक हो रही घोषणाओं ने चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया था। अब भाजपा ने दो राज्यों की पहली सूचियां जारी कर चुनावी संघर्ष के अगले दौर का आगाज कर दिया है। राजनीति के मैच कौन हारेगा-कौन जीतेगा यह तय होने में तो काफी समय है, लेकिन यह अवश्य कहा जा सकता है कि भाजपा ने 'टॉस' जीत लिया है। इंतजार अब कांग्रेस के कदम का है।
(इस विषय पर राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र में संपादकीय भी पढ़ें 'पत्रिकायन' पेज पर )
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