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सफलता का पायदान है कौशल विकास

कोरोनाकाल की चुनौतियों के बीच नए उपक्रम शुरू करने के कई मौके हैं। कोई भी नया प्रयास बड़े अवसरों को की क्षमता तो रखता ही है पर कई खतरे भी लेकर आता है।

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Coronavirus: कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए जूनागढ़ विधायक ने लॉकडाउन की मांग की

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डॉ. शेखर कपूर, कौशल विकास विशेषज्ञ

भारत का आर्थिक इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू होता है, जिसकी अर्थव्यवस्था व्यापार व आत्मनिर्भरता के आधार पर काफी हद तक निर्भर रहती थी। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश अर्थ शास्त्री एंगस मैडिसन की इकोनॉमिक रिपोर्ट का हम अध्ययन करें तो पाएँगे कि भारत देश में पहली व अट्ठारहवीं शताब्दी के बीच के अधिकांश अंतराल के लिए सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दौर था, जो कि सन उन्नीस सौ पचास में ब्रिटिश शासन के तहत शिल्प उद्योगों के विखंडन से पच्चीस प्रतिशत से घटकर करीब चार प्रतिशत ही रह गया था, और वर्तमान समय में भी यह कम, किंतु दूसरे देशों की तुलना में सकारात्मक रहने का अंदेशा है।


विगत शताब्दियों का इतिहास यह बताता है कि भारत व भारतीयों के मूल स्वभाव में व्यापार व उद्यमशीलता थी, जिसे आज के वर्तमान परिपेक्ष्य के साथ भी जोड़कर देखा जा सकता है। वर्तमान समय में जब सफलतम उद्यमियों को जब देखते हैं, तो उन सबके संघर्ष का समय जानना व वास्तविकता से परिचय करना भी आवश्यक है। एक उद्यमी बनने के लिए हमें उचित प्रबंधन, निर्णय क्षमता व जोखिम लेने के साथ-साथ कई और चीज़ों का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है, जिससे अपने उद्यम को विकसित किया जाए। एक उद्यम की स्थापना करने से पूर्व हमारे दिमाग में उक्त उद्यम के रोड मैप को लेकर तय गोल होना चाहिए व उससे भी आवश्यक है हमारे अन्तर्मन में यह साफ़ होना कि हम उक्त स्टार्टअप को क्यों करना चाहते हैं?

क्या सिर्फ इसलिए कि हमारे कई मित्र ऐसा कर रहे हैं या इसलिए कि वर्तमान नौकरी से आपका मन ऊब गया है? यदि ऐसा है उद्यम के सफल होने के चांस बहुत कम हो जाते हैं। जिस प्रकार एक पलंग के इर्द-गिर्द आग लगने पर हमारा पहला कदम उस पलंग से छलांग लगाकर अपनी जान बचाने का होता है, उसी प्रकार सोचिए यदि आग आपके सीने में लगी हो, तो आप कितनी लंबी छलांग लगाने में सक्षम हो सकते हैं?


कोई भी उद्यम स्थापित करने से पूर्व मन में एक ठोस वज़ह का होना आवश्यक है, जिसकी वजह से मन में पॉजिटिव एनर्जी का संचार निरन्तर होता रहता है। अमेज़न कम्पनी के सीईओ जेफ़ बेजोस हों या बायोकॉन कम्पनी की प्रबन्ध निदेशक किरण मजूमदार शॉ, सभी को अपने क्षेत्र का आइडिया इतना अद्धितीय लगा था, कि एक बार उस राह पर चलने के पश्चात उन्होनें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज वे बेशुमार सम्पत्ति के मालिक होने के साथ-साथ दुनिया के सफ़लतम उद्यमियों की लिस्ट में शामिल हैं।


एक उद्यमी को कदम-कदम पर कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे या तो वे बिखर जाते हैं या और अधिक निखर जाते हैं। इस बात में कोई संशय नहीं है कि आपके द्वारा शुरू किया गया उद्यम आपको भविष्य में कई बड़े अवसरों को प्रदान करने की क्षमता रखता है। लेकिन वह अपने साथ कई प्रकार के खतरे भी लेकर आता है, और उनमें से सबसे बड़ा खतरा होता है उद्यम के फेल हो जाने का। प्रश्न यह उठता है कि आप उस फेलियर को कैसे हैंडल करते हैं।


भारत देश में कोरोना-काल की इन वर्तमान चुनौतियों के बीच एक उद्यमी के लिए अनेकों अवसर चरितार्थ हो सकते हैं, फिर चाहें वे मास्क, वेंटिलेटर जैसे हेल्थकेयर के क्षेत्र में हों, भौगोलिक- राजनीतिक दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर भारत को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए टेलीमेडिसिन, मोबाइल फोन, सॉफ्टवेयर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन का क्षेत्र हो अथवा एड्यू-टेक इण्डस्ट्री का क्षेत्र हो- एक उद्यमी के लिए यह आपदा में अवसर खोजने का समय है और उद्यमिता व कौशल-विकास रूपी मज़बूत पायदानों के आधार पर ही हम आत्म-निर्भर भारत रूपी सफलता की सीढ़ी पर चढ़ सकते हैं।