20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तकनीक और नवाचार अब लैब तक सीमित नहीं

तकनीक और नवाचार अब प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को बखूबी बदल रहे हैं। कई अर्थों में इस किसान की कहानी एक बहुत बड़े परिवर्तन का सूक्ष्म रूप है। यह सूक्ष्म रूप 2047 तक विकसित भारत की ओर हमारे प्रस्थान का है।

3 min read
Google source verification

जयपुर

image

Neeru Yadav

Mar 06, 2025

Reliance AI data center

अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, रेल तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री

महाराष्ट्र के बारामती में एक छोटा किसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के साथ कृषि के नियमों को फिर से निर्धारित करने में जुटा है। यह बात अपने-आप में अद्वितीय है। हम उर्वरक के इस्तेमाल में कमी, जल संसाधन के बेहतर इस्तेमाल से अधिक उपज के बारे में बात करते हैं, जो एआइ समर्थित है। यह भारत की एआइ-संचालित क्रांति की एक झलक मात्र है। तकनीक और नवाचार अब प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को बखूबी बदल रहे हैं। कई अर्थों में इस किसान की कहानी एक बहुत बड़े परिवर्तन का सूक्ष्म रूप है। यह सूक्ष्म रूप 2047 तक विकसित भारत की ओर हमारे प्रस्थान का है।
डिजिटल नियति का निर्धारण : भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ), एआइ, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर जोर देकर अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है। पांच सेमीकंडक्टर संयंत्र निर्माणाधीन हैं, जो वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं। आज इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद हमारे शीर्ष तीन निर्यातों में शुमार हैं और जल्द ही हम एक प्रमुख मील के पत्थर यानी इस साल भारत की पहली ‘मेक इन इंडिया’ चिप के लॉन्च तक पहुंच जाएंगे।
एआइ का निर्माण- कंप्यूट, डेटा और इनोवेशन: सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स इसकी रीढ़ हैं, जबकि डीपीआइ भारत की तकनीकी क्रांति को आगे बढ़ाने वाली प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है। भारत अपने तरह की एक एआइ संरचना के माध्यम से इसे सभी के लिए सुलभ बनाकर एआइ का लोकतंत्रीकरण कर रहा है। इस संबंध में एक प्रमुख पहल 18,000 से अधिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) के साथ भारत की कॉमन कंप्यूट सुविधा है। 100 रुपए प्रति घंटे से कम की रियायती लागत पर उपलब्ध, यह पहल सुनिश्चित करेगी कि अत्याधुनिक अनुसंधानकर्ताओं, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और अन्य हितधारकों के लिए सुलभ हो। यह पहल मूलभूत मॉडल और अनुप्रयोगों सहित एआइ आधारित प्रणालियों को विकसित करने के लिए जीपीयू तक आसान पहुंच को सक्षम करेगी। भारत विविध और उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा पर एआइ मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर गैर-व्यक्तिगत अनाम डेटासेट भी विकसित कर रहा है। यह पहल पूर्वाग्रहों को कम करने और सटीकता में सुधार करने में मदद करेगी, जिससे एआइ सिस्टम अधिक विश्वसनीय और समावेशी बनेंगे। ये डेटासेट कृषि, मौसम पूर्वानुमान और यातायात प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एआइ संचालित समाधानों को शक्ति प्रदान करेंगे। सरकार भारत के अपने आधारभूत मॉडलों के विकास में सहायता कर रही है, जिसमें बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समस्या-विशिष्ट एआइ समाधान शामिल हैं। एआइ से जुड़े अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, कई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
डिजिटल नवाचार की रूपरेखा : डीपीआइ में भारत के अग्रणी कार्य ने वैश्विक डिजिटल परिदृश्य को महत्त्वपूर्ण रूप से आकार दिया है। कॉर्पोरेट या राज्य-नियंत्रित मॉडल के विपरीत, भारत का सरल सार्वजनिक-निजी दृष्टिकोण का आधार, यूपीआइ और डिजीलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म बनाने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करता है। निजी क्षेत्र के दिग्गज डीपीआइ के शीर्ष पर उपयोगकर्ता के अनुकूल, एप्लिकेशन-विशिष्ट समाधान बनाते हैं और नवाचार प्रस्तुत करते हैं। जापान ने भारत की यूपीआइ भुगतान प्रणाली को पेटेंट प्रदान किया है, जो इसकी व्यापकता का प्रमाण है।
महाकुंभ, परंपरा और तकनीक का संगम : भारत ने महाकुंभ 2025 के निर्बाध संचालन के लिए अपने डीपीआइ और एआइ संचालित प्रबंधन का लाभ उठाया, जो अब तक का सबसे बड़ा मानव समागम है। एआइ संचालित उपकरणों ने प्रयागराज में रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तत्क्षण रेलवे यात्रियों की आवाजाही की निगरानी की। भारतीय रेल और उत्तर प्रदेश पुलिस जैसे विभिन्न विभागों के साथ इसके सहयोग ने समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए संचार प्रणाली को सुव्यवस्थित किया। डीपीआइ का लाभ उठाकर, महाकुंभ 2025 ने तकनीक-सक्षम प्रबंधन के लिए एक वैश्विक मानदंड स्थापित किया है, जो इसे अधिक समावेशी, कुशल और सुरक्षित बनाता है।
भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण : भारत का कार्यबल इसकी डिजिटल क्रांति के केंद्र में है। देश हर हफ्ते एक वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) जोड़ रहा है, जो वैश्विक आरएंडआइ और तकनीकी विकास के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है। सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के अनुसार, एआइ, 5जी और सेमीकंडक्टर डिजाइन को शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव करके इस चुनौती का समाधान कर रही है।
व्यावहारिक दृष्टिकोण: भारत भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण कर रहा है। एक व्यावहारिक, तकनीकी-कानूनी दृष्टिकोण का पालन कर रहा है। एआइ से संबंधित जोखिमों को दूर करने के लिए केवल कानून पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार तकनीकी सुरक्षा से जुड़े उपायों में निवेश कर रही है। इसलिए भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है। इसके तहत समावेशी विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना और साथ ही नवाचार को बढ़ावा देने वाली नियामक संरचना को बनाए रखना होगा, लेकिन नीतियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर से परे, यह परिवर्तन हमारे लोगों के बारे में है।