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टैक्स बढ़ाना तंबाकू की खपत घटाने का प्रभावी तरीका

स्वास्थ्य प्रणाली पर बड़ा बोझ डाल रहा तंबाकू: संबंधित उद्योगों के श्रमिकों को मुहैया कराए जाएं व्यावसायिक विकल्प

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जयपुर

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Patrika Desk

Nov 17, 2022

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डॉ. शालिनी सिंह
निदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान
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भारत आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस दौरान देश के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और इसकी उपलब्धियों को चिह्नित करने के कई आयोजन किए गए हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हमें अपने युवाओं को तंबाकू की लत से बचाकर इस जीवन भर की गुलामी से आजाद रखने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाना है।

भारत में हर साल लगभग 13 लाख लोग तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाले कैंसर, हृदय रोग और दूसरे रोगों की वजह से जान गंवाते हैं। लाखों लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज के खर्च की वजह से गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं। इससे देश की स्वास्थ्य प्रणाली और खजाने पर भी बड़ा बोझ पड़ रहा है।

इसके बावजूद तंबाकू उद्योग इन उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहा है। इनमें नए-नए तरह के उत्पादों की बिक्री शामिल है। इसका असर यह हुआ कि भारत में गुटखा पर पाबंदी लगने के बावजूद कंपनियां बड़ी आसानी से एक साथ दो पाउच में पान मसाला और चबाने वाले तंबाकू उत्पाद बेच रही हैं। हुक्का और ई-सिगरेट के बाद अब ये सिंथेटिक निकोटिन उत्पादों की आड़ में युवाओं को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। सिंथेटिक निकोटिन उत्पाद मौजूदा तंबाकू-नियंत्रण कानून के दायरे में आने से बच सकते हैं लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। इस तरह की रणनीति का मकसद चालाकी से युवाओं को आकर्षित करना और तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए आवश्यक नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार करना है।

तंबाकू उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौत की बड़ी वजह इसमें होने वाले हानिकारक रसायन होते हैं। साथ ही तंबाकू उत्पादों में निकोटिन सबसे ज्यादा लत लगाने वाला पदार्थ होता है जो लोगों को तंबाकू उत्पादों का आदी बनाए रखता है और इससे तमाम बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि दुनियाभर में लगभग 78 करोड़ वयस्क तंबाकू उत्पादों की लत से छुटकारा पाना चाहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी तंबाकू की लत छुड़वाने की अपनी मुहिम के तहत लगभग 10 करोड़ लोगों को तंबाकू की लत छोडऩे में मदद उपलब्ध कराने का लक्ष्य बनाया है।

तंबाकू की लत छुड़वाने के लिए एक बेहतर माहौल बनाना जरूरी है। इसके तहत तंबाकू से दूरी बनाने के लिए लोगों को चिकित्सीय मदद उपलब्ध कराने के अलावा तंबाकू उत्पादों की उपलब्धता और आसान पहुंच पर भी अंकुश लगाने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में तंबाकू की खपत में कटौती करने के लिए कई बेहतरीन प्रयास किए हैं। हालांकि यह जरूरी है कि सरकार तंबाकू उत्पादों की बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिए एक मजबूत नीति तैयार करे जिसमें तंबाकू के उत्पादन में कटौती करने के साथ-साथ सभी तंबाकू उत्पादों पर कर भी बढ़ाया जाना चाहिए।

वर्तमान में, भारत में धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पादों पर कुल प्रभावी टैक्स लगभग 60 फीसदी है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य विशेषज्ञ सुझाते हैं कि किसी भी तरह के तंबाकू उत्पादों की खुदरा बिक्री का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा सरकारी राजस्व का होना चाहिए। इससे तंबाकू इस्तेमाल कम करने के साथ ही नए लोगों को इस जानलेवा लत के चंगुल में फंसने से रोकने में भी मदद मिलेगी। ऐसे में खपत घटाने के लिए तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाया जाना जरूरी है। हमारे देश में भी कई अध्ययनों में देखा गया है कि इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने से इनकी बिक्री प्रभावित होती है।

जब भी तंबाकू उत्पादों पर उच्च कर लगाने या प्रतिबंध लगाने की मांग होती है तो तंबाकू कम्पनियां इस उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के रोजगार की आड़ लेकर ऐसी मांगों का विरोध करती हैं। जरूरी है कि हम बीड़ी बनाने वाले श्रमिकों के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को तेज करें और उन्हें दूसरे व्यावसायिक विकल्प प्रदान करें। इस दिशा में श्रम और रोजगार मंत्रालय के साथ कौशल विकास और उद्यमिता जैसे मंत्रालयों की ओर से पहले से ही प्रयास किए जा रहे हैं जो इस स्थायी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि युवाओं के लिए तंबाकू मुक्त भविष्य सुनिश्चित करने में ये प्रयास सफल साबित होंगे।