
बढ़ेगा आपसी विश्वास
निश्चित रूप से देश में सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। इसलिए विभिन्न धर्मों के लोगों के मध्य कानूनी समानता के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता बहुत जरूरी है। इस संहिता के माध्यम से आपसी विश्वास में बढ़ोतरी होगी।
-महेश आचार्य, नागौर
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खत्म होगा भेदभाव
देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए इसे आवश्यक माना है। इससे धर्म आधारित भेदभाव एवं अलगाव की भावना खत्म होगी। साथ ही लैंगिक समानता की बहाली होगी क्योंकि कई धर्मों के व्यक्तिगत कानून महिलाओं के प्रति भेदभाव पूर्ण हैं।
-कंचन राठौड़, जोधपुर
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अच्छा विचार
भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, लेकिन संकुचित मानसिकता वाले लोगों ने धर्म की आड़ में देश को बांट कर रखा है जो गलत है। देश हित को देखते हुए सभी धर्मों और जाति के लोगों के लिए एक समान कानून बने तो बढिय़ा है। धर्मनिरपेक्ष संहिता लागू होने से पूरा देश एक सूत्र में बंध जाएगा।
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़
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धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा
धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है। यह भारत में लंबे समय से बहस का मुद्दा है। इसके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क दिए जाते रहें हैं। वर्तमान व्यक्तिगत कानूनों में महिलाओं के साथ आज भी भेदभाव का वातावरण बना हुआ है। धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग कानूनों के बजाय, एक समान कानून होने से धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देगा और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित होंगे।
-गिरीश ठक्कर, राजनंदगांव, छत्तीसगढ़
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धार्मिक मतभेद कम होंगे
देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करने से धार्मिक मतभेदों को कम करने में मदद मिलेगी, कमजोर वर्गों को सुरक्षा मिलेगी, न्यायिक प्रणाली सरल-सहज होगी, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार संबंधी नियमों में समानता आएगी। धार्मिक भावनाओं को भड़का कर वोट मांगने की सियासत पर भी लगाम लग जाएगी।
-प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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शीघ्रता से लागू किया जाए
धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता का अर्थ है कि कानून धर्म से ऊपर होगा और सभी नागरिकों के लिए समान होगा, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। यह विचार भारत के संविधान के मूल्यों के अनुरूप है, जो समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। इसे देश में शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए।
-नमन बारूपाल, गंगाशहर, बीकानेर
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बदलाव समय की मांग
जो कानून देश को धर्म के नाम पर बांटे, वह किसी के काम के नहीं हैं। आज देश में 'सेक्युलर सिविल कोड' की ज्यादा जरूरत है। सांप्रदायिक और भेदभाव बढ़ाने वाले कानूनों की जगह, 'धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता' जरूरी है। इससे विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में सभी नागरिकों पर एक जैसे कानून लागू होंगे।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
Published on:
18 Aug 2024 04:47 pm
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