
आपका हक : ताकि पक्षद्रोही न हों गवाह
विभूति भूषण शर्मा
कई बार गवाह न्यायालय में अपने पूर्ववर्ती बयानों से मुकर जाते हैं, जिनके कारण अभियुक्त बरी हो जाते हैं। ऐसे गवाहों को पक्षद्रोही गवाह कहते हैं। इस कारण पुलिस की उस केस में की गई सारी मेहनत बेकार हो जाती है और वास्तविक अपराधी सजा पाने से बच जाते हैं। गवाह के पक्षद्रोही होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। मसलन- दबाव, प्रलोभन, डर, न्यायालय की शिथिल और जटिल प्रक्रिया आदि। इस तरह की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कुछ प्रावधान हैं। झूठी गवाही के मामले में कार्रवाई के लिए कानून भी है। इसके बावजूद यह प्रवृत्ति नहीं रुक पा रही।
विधिवेत्ता जर्मी बेंथम ने कहा था कि गवाह न्याय की आंख और कान होते हैं। उच्चतम न्यायालय ने अनेक बार इस विषय पर चिंता व्यक्त की है। समय-समय पर महत्त्वपूर्ण फैसलों में यह अभिनिर्धारित किया है कि राज्यों को साक्ष्य सुरक्षा योजना बनानी चाहिए। न्यायालय ने बार-बार कहा है कि गवाहों के प्रभावित होने से न्याय प्रतिबाधित होता है और जांच एजेंसियों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसलिए सरकारों को इस मामले में ठोस नीति बनानी होगी। विधि आयोग, राष्ट्रीय पुलिस आयोग और मलिमथ कमेटी ने भी इस तरह की सिफारिशें की हैं। अंतत: सन् 2018 में उच्चतम न्यायालय द्वारा महेंद्र चावला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के निर्णय में पारित निर्देशों की पालनार्थ राज्यों ने साक्ष्य सुरक्षा योजना बनाई। गवाह सरकार को आवेदन कर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। इसमें गवाहों की सुरक्षा के लगभग सभी प्रावधानों का उल्लेख हंै, लेकिन यदि गवाह स्वैच्छिक तौर पर मुकरता है, तो उसे रोकने का कोई उपाय नहीं किया गया है।
हाल ही में एक हत्या के केस में प्रत्यक्षदर्शी गवाह के पक्षद्रोही होने के मामले को राजस्थान उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया। इस तरह के मामलों को रोकने के लिए सुझाव मांगे। इसी के तहत न्यायालय में लगभग 21 सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें प्रमुख तौर पर गवाहों की वीडियो और ऑडियो रिकार्डिंग, प्रमुख गवाहों की गवाही को प्राथमिकता तथा गवाही शीघ्रातिशीघ्र कराना जिससे अभियुक्त को अवसर ना मिले। गवाहों की काउंसलिंग, जिससे उन्हें समाज, न्याय और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का बोध हो। साथ ही गवाहों के संरक्षण की व्यवस्था, आवाजाही के खर्च के भुगतान में तत्परता, अभियुक्त से उनका सीधा आमना-सामना न हो, ऐसी व्यवस्था को सुनिश्चित करना आदि-आदि। न्यायालय ने सुझावों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि इन सुझावों को साक्ष्य सुरक्षा योजना के साथ जोड़कर शीघ्र ही कानूनी जामा पहनाया जाए। इस तरह का कानून लागू होता है, तो गवाहों के पक्षद्रोही होने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
(लेखक राजस्थान सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं)
Published on:
05 May 2021 09:08 am
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