
पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी
केंद्र में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल अपने राजनीतिक लाभ के लिए लेटरल एंट्री के जरिए उच्च पदों पर भर्ती कर रहा है, जो उचित नहीं है। इस प्रकार की नियुक्तियां उन्हीं हालात में की जानी चाहिए, जब किसी उच्च सेवा के तहत कार्य विशेष को करने के लिए विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हो। किसी को उत्तरदायी ठहराए बिना ऐसे पद पर नियुक्त कर दिया जाता है तो उस पर अनुशासनात्मक नियंत्रण रखना कठिन हो जाता है। इस कारण इस प्रकार की नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की जरूरत है।
प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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अधिकार छीनने का रास्ता
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं मे अथक श्रम, समय एवं अध्ययन करने के बाद जिन युवाओं को सफलता मिलती है, निसंदेह उनका ज्ञान एवं समझ श्रेष्ठ होता है। 25-30 साल की सेवा के अनुभव बाद उनको सचिव पद मिलता है। अगर उनसे कुछ गलत भी हो जाता है तो उसके लिए वे उतरदायी हैं। लेटरल एंट्री में अभ्यर्थी को कठिन परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ेगा। सरकारी सिस्टम को समझने में कम समय मिलेगा और वे पार्टी विशेष की विचारधारा को आगे बढ़ाने का ही काम करेंगे। यह नियुक्ति युवाओं के अधिकार को छीनती है, इसलिए विरोध हो रहा है।
- श्याम लाल शर्मा, कांकरोली (राजस्थान)
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आरक्षण के लाभ से वंचित होने की आशंका
लेटरल भर्ती का सीधा-सा अर्थ है, सीधी भर्ती। वर्तमान में संघ सरकार का उद्देश्य विशेष पदों पर जैसे सचिव, संयुक्त सचिव और सलाहकार इत्यादि पर निजी क्षेत्रों के अनुभवी योग्य पात्रों को लाना है। विरोध करने वालों का तर्क यह है कि इस प्रक्रिया से उच्च पदों पर एससी-एसटी और ओबीसी पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों का पहुंचना और मुश्किल हो जाएगा। लेटरल एंट्री के विरोध की यही वजह है।
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर
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विपक्षी पार्टियों की साजिश
लेटरल एंट्री के जरिए उच्च पदों पर भर्ती का विरोध विपक्ष कर रहा है, जबकि इस तरह भर्ती करना बिल्कुल सही है। इससे पेपर लीक जैसे मामलों से छुटकारा मिलेगा, योग्य का ही चयन हो पाएगा। विपक्ष विरोध करके एससी-एसटी, ओबीसी को भड़काने का काम कर रहा है।
- अजीतसिंह सिसोदिया, बीकानेर
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पारदर्शिता हो तो लोकहित में
लेटरल भर्ती प्रक्रिया का विरोध राजनीतिक कारणों से हो रहा है। विपक्ष का दावा है कि इस भर्ती प्रक्रिया से आरक्षित वर्ग के हित प्रभावित होंगे क्योंकि इस भक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। लेटरल भर्ती द्वारा छुपे हुए टेलेंट का लोकहित में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है बशर्ते कि ये भर्तियां पारदर्शी तरीके से हो।
- ललित महालकरी, इंदौर
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अंधा बांटे रेवड़ी...
लेटरल एंट्री के जरिए उच्च पदों पर भर्ती से यूपीएससी की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली और मेहनती युवाओं का हक तथा एससी-एसटी, ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीने जाने का डर बन गया है। इससे भ्रष्टाचार से भर्ती प्रक्रिया की एक नई शुरुआत भी हो सकती है जहां उच्च पदों पर सरकार और कॉर्पोरेट के लोगों का कब्जा होने लगेगा। 'अंधा बांटे रेवड़ी, अपने-अपने को दे' वाली कहावत चरितार्थ होने लगेगी।
- संजय डागा, इन्दौर (मप्र)
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विरोध की वजह दलों का स्वार्थ
लेटरल एंट्री का विरोध सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया जा रहा है। राजनीतिक दलों में दलितों, पिछड़ों के हमदर्द और सबसे बड़े मसीहा बनने की होड़ लगी है। ऐसा नहीं है कि इस भर्ती से दलितों और पिछड़ों को वंचित किया जाएगा, इसमें सभी को समान अवसर दिया जा रहा है सभी के लिए समान योग्यता है। लेकिन राजनीतिक दल देश हित की बजाय अपने हितों के लिए इसका विरोध कर कर रहे हैं जो गलत है।
- गजेंद्र चौहान कसौदा, डीग
Published on:
19 Aug 2024 05:30 pm
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